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    कौन है गुलाम नबी फई? US में रहकर भारत विरोधी साजिश, NIA जब्त करेगी कश्मीर में संपत्ति

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 02:31 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में एनआईए अदालत ने गुलाम नबी फई की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया। फई पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है ...और पढ़ें

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    कौन हैं डॉ. गुलाम नबी फई? (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर में जन्मे और अमेरिका में रहने वाले गुलाम नबी फई की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी हुआ है। यह आदेश जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले की एक विशेष एनआईए अदालत ने यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में अहम फैसला सुनाया है।

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    दरअसल, डॉ. गुलाम नबी फई वर्तमान में अमेरिका में रह रहा है और उस पर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के गंभीर आरोप हैं। उसे बडगाम में एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने पहले ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत घोषित अपराधी घोषित किया था।

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    कौन है गुलाम नबी फई?

    बता दें कि सैयद गुलाम नबी फई कश्मीरी मूल के अमेरिकी नागरिक और जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ता है। उसने अमेरिका में कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल नामक संगठन की स्थापना की थी और कश्मीरी अलगाववादी समूहों और पाकिस्तान सरकार की ओर से पैरवी की। साल 2011 में, अमेरिकी सरकार ने कहा कि यह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का मुखौटा समूह था।

    कोर्ट के अनुसार,गुलाम नबी फई वॉशिंगटन स्थित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल का प्रमुख है। इस संगठनको जांच एजेंसियां पाकिस्तान समर्थित संगठन मानती है। नबी पर उस पर यूएपीए की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज है, जिनमें धारा 10 (गैरकानूनी संगठन से जुड़ाव), धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों का समर्थन) और धारा 39 (आतंकी संगठनों को सहयोग) शामिल है। इसे कोर्ट साल 2020 में ही भगोड़ा घोषित कर चुकी है।

    ये संपत्तियां होंगी कुर्क

    अप्रैल में विशेष एनआईए न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अप्रैल 2025 में जारी उद्घोषणा आदेश के तहत आरोपी को 30 दिनों के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। इसके बाद अब कोर्ट ने बडगाम के उपायुक्त को आदेश दिया है कि डॉ. फई की अचल संपत्ति कुर्क की जाए। कुर्क की जाने वाली संपत्तियों में वडवान गांव में स्थित 1 कनाल 2 मरला भूमि और चट्टाबुग गांव में स्थित 11 मरला जमीन शामिल है।

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    पाकिस्तान जाता रहता था फई

    जुलाई 2011 में FBI द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले, गुलाम नबी फई पाकिस्तान जाता रहता था और ISI समेत बड़े राजनीतिक, सरकारी और मिलिट्री अधिकारियों से मिलता था। फई की पकड़ अमेरिका की स्टेट डिपार्टमेंट के मिड-लेवल अधिकारियों और कुछ सीनेटरों तक थी। US अटॉर्नी और लॉबिस्ट पॉल मैनाफोर्ट से भी उसका सबंध था।

    1990 में US की नागरिकता लेने के बाद, फई ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी। तब से, पाकिस्तानी सेना और ISI के साथ उसके संबंधों के कारण उसे भारत का वीज़ा देने से मना कर दिया गया है।

    तीन दशकों से ज्यादा समय से, गुलाम नबी फई कश्मीर मुद्दे पर एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय लॉबिस्ट रहा है। हाल ही में, जम्मू और कश्मीर में एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अदालत ने बडगाम में संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। फई पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के लिए प्रॉक्सी के तौर पर काम करने का आरोप है।

    बडगाम से वाशिंगटन तक

    बडगाम में पैदा हुआ फई तीन दशक से ज्यादा समय से अमेरिका में रह रहा है और उसके पास अमेरिकी नागरिता है। उसने कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (KAC) का नेतृत्व किया, जो एक भारत विरोधी मंच है जो खुद को एक स्वतंत्र नागरिक समाज मंच के रूप में दिखाता है।

    भारतीय एजेंसियां लंबे समय से उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए एक माध्यम के रूप में काम करने का आरोप लगाती रही हैं। मौजूदा NIA मामले में, फई पर UAPA के तहत जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें जांचकर्ताओं ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर से उनके संबंधों और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन से उनकी निकटता का हवाला दिया है।

    2011 में जब उसे FBI ने गिरफ्तार किया तो फई की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बड़ा झटका लगा। अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर ने बाद में यह साबित किया कि दो दशकों से ज्यादा समय तक, KAC पाकिस्तान की ISI के लिए एक फ्रंट के तौर पर काम कर रहा था, और फई कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों और पॉलिसी बनाने वालों को प्रभावित करने के लिए कम से कम 3.5 मिलियन डॉलर का फंड दे रहा था।

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    2012 में, एक अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने फई को साज़िश और टैक्स उल्लंघन के लिए दो साल की जेल और तीन साल की निगरानी में रिहाई की सजा सुनाई। अमेरिकी अटॉर्नी नील मैकब्राइड ने कोर्ट को बताया कि फई ने जस्टिस डिपार्टमेंट, इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (अमेरिकी टैक्स एजेंसी), और राजनीतिक नेताओं से झूठ बोला था, और अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए सालों तक झूठा दावा किया था कि उसके पास फिलाडेल्फिया की टेम्पल यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री है।

    कोर्ट ने घोषित किया था भगौड़ा

    कोर्ट के आदेश में क्या कहा गया है भारत में फई के खिलाफ NIA का मामला 2020 में दर्ज किया गया था। बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद, फई भारतीय अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुआ। इस साल अप्रैल में, बडगाम में स्पेशल NIA कोर्ट ने उसे पुलिस के सामने पेश होने का निर्देश देते हुए 30 दिन का नोटिस जारी किया। जब फई ने नोटिस का जवाब नहीं दिया, तो कोर्ट ने उसे औपचारिक रूप से "घोषित भगोड़ा" घोषित कर दिया।

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