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    Delhi Blast: कैसे चल रही थी ऑनलाइन आतंकी बनाने की फैक्ट्री, कहां से हुई व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल की शुरुआत? खुले कई राज

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 06:51 PM (IST)

    Delhi Blast: दिल्ली में हुए ब्लास्ट के बाद, जांच एजेंसियों ने ऑनलाइन आतंकी बनाने वाली एक फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। जांच में व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल की शुरुआत का पता चला है, जिसमें युवाओं को ऑनलाइन माध्यमों से कट्टरपंथी बनाया जा रहा था। इस मामले में कई और राज खुलने की संभावना है, और जांच एजेंसियां नेटवर्क के पीछे के लोगों की तलाश कर रही हैं।

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    कैसे चल रही थी ऑनलाइन आतंकी बनाने की फैक्ट्री कहां से हुई व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल की शुरुआत (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला इलाके में 10 नवंबर को हुई कार ब्लास्ट (Delhi Blast) की जांच में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। पता चला है कि व्हाइट-कॉलरटेरर मॉड्यूल में शामिल ये लोग कोई आम युवक नहीं थे, बल्कि डॉक्टर थे और इनकी कट्टरपंथी सोच साल 2019 से ही सोशल मडिया पर शुरू हो चुकी थी। विदेशी हैंडलरों ने इन पढ़े-लिखे युवाओं को ऑनलाइन ही ब्रेनवॉश किया और भारत में हमले की प्लानिंग करवाई।

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    जांच में पता चला कि पाकिस्तान और दूसरे देशों में बैठे हैंडलर इन डॉक्टरों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखते थे। डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील राथर, डॉ. उमर-उन-नबी जैसे सदस्य पहले फेसबुक और एक्स पर एक्टिव थे। हैंडलरों ने इन्हें वहीं चिन्हित किया और फिर टेलीग्राम के प्राइवेट ग्रुप में जोड़ दिया। यहीं से असली ब्रेनवॉश शुरू हुआ- झूठे और भड़काने वाले वीडियो, मैसेज और AI से बने कंटेंट भेजे जाते थे।

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    कहां से लेते थे बम बनाने की ट्रेनिंग?

    जांच में सामने आया है कि ये सभी टेलीग्राम और यूट्यूब का इस्तेमाल कर IED यानी बम बनाने की ट्रेनिंग लेते थे। डिजिटल फुटप्रिंट में तीन बड़े विदेशी हैंडलरों के नाम आए- उकासा, फैजान और हाशमी। ये सभी जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े बताए गए हैं। शुरुआत में आरोपी डॉक्टर सीरिया या अफगानिस्तान जाकर आतंकी संगठन ज्वाइन करना चाहते थे, लेकिन हैंडलरों ने उन्हें भारत में ही हमलों की प्लानिंग करने को कहा।

    कैसे हुआ व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश?

    • जम्मू-कश्मीर पुलिस, यूपी और हरियाणा पुलिस ने मिलकर इस मॉड्यूल का पर्दाफाश किया।
    • फरीदाबाद की एक यूनिवर्सिटी से 2900 किलो विस्फोटक मिला, जिसने पूरे नेटवर्क को बेनकाब कर दिया।
    • जांच तब बढ़ी जब 18-19 अक्टूबर की रात श्रीनगर के बाहर जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगे मिले।
    • पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया और कई टीमें बनाई।

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    UN की चेतावनी

    • 2018 के बाद आतंकियों ने सोशल मीडिया के जरिए भर्ती की नई रणनीति अपनाई।
    • VPN, फर्जी प्रोफाइल और एन्क्रिप्टेड ऐप्स (जैसे टेलीग्राम, मास्टोडॉन) का इस्तेमाल कर वे आसानी से छिपे रहते थे।
    • UN ने भी चेतावनी दी है कि आतंकी ऑनलाइन प्रचार का इस्तेमाल भर्ती और हिंसा भड़काने में कर रहे हैं।

    अदील की शादी में नहीं गया उमर

    • रेड फोर्ट ब्लास्ट में कार चलाने वाला डॉ. उमर-उन-नबी ISIS की विचारधारा से प्रभावित था।
    • बाकी आरोपी अल-कायदा से जुड़े विचारों को मानते थे।
    • इसी मतभेद के कारण उमर ने अदील की शादी में जाना भी छोड़ दिया था।

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    हमले के लिए लगभग 26 लाख रुपये जुटाए गए थे। उमर से खर्च का हिसाब मांगा गया तो वह नाराज हो गया। इन पैसों में उमर ने 2 लाख रुपये दिए, अदील ने 8 लाख रुपये, शाहीन शाहिद और मुजम्मिल शकील ने 5-5 लाख रुपये और मुजफ्फर राथर ने 6 लाख रुपये दिए।

    कैसे किया ब्लास्ट?

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    10 नवंबर को उमर ब्लास्ट के लिए लाल किला पहुंचा, लेकिन सोमवार होने के कारण भीड़ नहीं थी। 3 घंटे पार्किंग में इंतजार करने के बाद उसने कार बाहर लाकर रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास धमाका कर दिया। इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए।

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