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    गेहूं की सेहत खराब कर सकता है मौसम का गर्म मिजाज, चालू रबी सीजन में 11.21 करोड़ टन पैदावार होने की संभावना

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 19 Feb 2023 09:43 PM (IST)

    चालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का रकबा 3.43 करोड़ हेक्टेयर है। यह पिछले रबी सीजन के मुकाबले अधिक है। गेहूं की मांग और बाजार के रुझान को भांपकर किसानों ने इस बार रकबा बढ़ा दिया है। (फाइल फोटो)

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    चालू रबी सीजन में गेहूं की 11.21 करोड़ टन पैदावार होने की संभावना

    नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। मौसम का गरम होता मिजाज गेहूं की सेहत पर भारी पड़ सकता है। पिछले एक सप्ताह से सामान्य से अधिक तापमान से कृषि विज्ञानियों और नीति नियामकों के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह की अवधि में बोई गई फसल की उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है।

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    खास बात यह है कि मौसम का यह रुख पिछले वर्ष के मुकाबले से भी खराब है। चालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का रकबा 3.43 करोड़ हेक्टेयर है। यह पिछले रबी सीजन के मुकाबले अधिक है। बीते मानसून की अच्छी बरसात से मिट्टी में पर्याप्त नमी और पूरे सीजन अच्छी ठंड के चलते खेतों में खड़ी गेहूं की फसल से बेहतर उत्पादकता का अनुमान लगाया गया है। इसीलिए कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, चालू रबी सीजन में कुल 11.21 करोड़ टन गेहूं की पैदावार होने की संभावना है। हालांकि, खेतों में गेहूं की फसल के पकने का समय चल रहा है, उसी समय तापमान के बढ़ने से फसल की उत्पादकता पर खतरा मंडराने लगा है।

    किसानों ने बढ़ाया गेहूं की खेती का रकबा

    गेहूं की मांग और बाजार के रुझान को भांपकर किसानों ने इस बार गेहूं की खेती का रकबा बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष रुस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के चलते वैश्विक और घरेलू बाजारों में गेहूं का भाव पूरे साल बढ़ा रहा, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने की बाध्यता से मुक्ति मिली। पिछले फसल वर्ष 2021-22 में भी गेहूं की फसल के पकने के वक्त तापमान अनपेक्षित तरीके से बहुत अधिक बढ़ गया था, जिससे कुल पैदावार में छह से 10 प्रतिशत तक की कमी आई थी।

    मार्च वाली गरमी फरवरी में ही पड़नी शुरू हो गई

    गेहूं उत्पादक पांच प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में तापमान बढ़ रहा है, जबकि उत्तरी राज्यों के साथ पश्चिमी और मध्य भारत में समय से पहले पारा तेजी से ऊपर चढ़ने लगा है। मार्च वाली गरमी फरवरी में ही पड़नी शुरू हो गई है। इससे गेहूं की पिछैती फसल के बुरी तरह प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है।

    राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में गर्मी अभी से अपने रंग में है, जहां तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस को छू रहा है। भारतीय मौसम विभाग के पूर्व निदेशक केजी रमेश ने हैरानी के अंदाज में कहा कि इस साल की जनवरी जहां सबसे ठंडा रही वहीं फरवरी सबसे गर्म होने जा रही है। फरवरी के अंत तक किसी ने भी मौसम के मिजाज के ठंडा होने का पूर्वानुमान नहीं लगाया है।

    पतले हो जाएंगे गेहूं के दाने

    उत्तर भारत में इस बार फसलों पर दोहरी मार पड़ी है। पहले तो इस बार जाड़े के मौसम में होने वाली बारिश नहीं हुई, वहीं गर्मी समय से पहले पड़ने लगी है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह का कहना है किपूर्वांचल और बिहार में दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इससे भी खतरनाक स्थिति रात के तापमान बढ़ने से हुई है, जो 20 डिग्री सेल्सियस हो गया है, जबकि गेहूं के लिए आदर्श स्थिति दिन में 25 से 26 डिग्री और रात में 13 से 16 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए।

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    प्रोफेसर सिंह का कहना है कि कच्ची फसल के दौरान बढ़े तापमान से ना केवल गेहूं के दाने पतले होंगे। सामान्य फसल के 1000 गेहूं के दानों का वजन 38 से 45 ग्राम होता है, जबकि टर्मिनल हीट से प्रभावित फसल के 1000 दानों का वजन 28 से 30 ग्राम ही होता है। धान से खाली होने वाले खेतों में देर से हुई बोआई वाले गेहूं की फसल पर इस गर्मी का असर पड़ना तय है।

    गेहूं और जौ अनुसंधान से जुड़े विज्ञानी डा. ज्ञानेंद्र ने बताया कि उत्तर भारत में तापमान में कमी की संभावना नहीं है। राजस्थान और हरियाणा के कुछ जिलों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हालांकि, उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल रहा है, जो अच्छा नतीजा दे सकता है।

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