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    Remote Electronic Voting Machine: देश के किसी भी राज्य से बैठकर अब दे सकेंगे वोट, EVM और RVM में क्या है अंतर?

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Thu, 05 Jan 2023 12:18 AM (IST)

    देश में स्थानीय प्रवासी मतदाताआ भी आसानी से लोकंतत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव में हिस्सा ले सकें उसके लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रोटोटाइप विकसित किया है। आखिर क्या है आरवीएम? और कैसे कम करता है यह मशीन? आइए जानते हैं?

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    आइए जानते हैं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में क्या अंतर है।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 130 करोड़ से भी अधिक आबादी वाले देश में आम चुनाव हो या राज्य चुनाव, दोनों काफी मायने रखते हैं। लोकतंत्र में हर एक व्यक्ति का वोट बेहद कीमती होता है। हमारे देश में नौकरी और पढ़ाई के लिए हर साल करोड़ों लोग एक दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं, जिसका असर वोटिंग पर्सेंट पर भी पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) ने कुछ दिनों पहले बताया कि उसने स्थानीय प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Remote Electronic Voting Machine) का प्रोटोटाइप विकसित किया है।

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    राजनैतिक दलों को 16 जनवरी को इसके प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया है। रिमोट वोटिंग मशीन को लेकर एक नोट भी जारी किया गया है। राजनीतिक दलों से इसे कानूनी, प्रशासनिक और तकनीकी तौर पर क्रियान्वित करने पर अपने विचार प्रकट करने के लिए भी कहा गया है। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर आरवीएम और ईवीएम में क्या अंतर है?

    आरीवएम और ईवीएम में क्या है अंतर?

    दरअसल, आरवीएम, ईवीएम का मोडिफाइड वर्जन है। आरवीएम के जरिए डॉमेस्टिक माइग्रेंट को वोट करने में आसानी होगी। डॉमेस्टिक माइग्रेंट का मतलब वे जो लोग जिनके पहचना पत्र में किसी और राज्य का नाम है लेकिन वे काम या अन्य कारणों की वजह से किसी दूसरे राज्य में रहते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन काम,पढ़ाई या किसी और वजह से आप दिल्ली में रह रहे हैं तो उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान आप दिल्ली में बैठकर वोट दे पाएंगे। इसलिए इसका नाम रिमोट ईवीएम रखा गया है। बता दें कि इसके निर्माण का काम एक पब्लिक कंपनी सेक्टर के पास ही होगी। गौरतलब है कि आरवीएम एक पुलिंग स्टेशन से 72 निर्वाचन क्षेत्रों को नियंत्रित करेगा।

    क्यों पड़ी आरवीएम की जरूरत?

     बता दें कि पिछले तीन आम चुनावों में केवल एक तिहाई वोटरों ने ही वोट डाला है। वोटिंग पर्सेंट न बढ़ने की चिंता काफी बढ़ी है। डाटा के मुताबिक, साल 2019 के आम चुनाव में 91 करोड़ से ज्यादा वोटरों में से 67.4% ने ही वोट किया था. 2014 के आम चुनाव में वोटिंग पर्सेंट 66.4% था और 2009 के चुनाव में यह 58.2% था।

    दरअसल, चुनाव आयोग के नियम के अनुसार, वोटर चाहें तो जिस राज्य में वे जाते हैं अपना वोटर आई़डी उस राज्य का बनवा सकते हैं लेकिन अधिकतर वोटर ऐसा नहीं करते हैं, जिसका असर वोटिंग पर्सेंट पर पड़ता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक 45.36 करोड़ भारतीय या 37% आबादी 'प्रवासी' हैं। आरवीएम भी ईवीएम की तरह ही है, यह किसी इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होगी। आरवीएम को सेट करने के लिए लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, लेपटॅाप भी इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होगा।

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