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जानें क्‍या है प्रोपियोनेट, डायबिटीज और मोटोपे के मरीजों के लिए क्‍यों है जोखिम

खाद्य पदार्थों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले प्रोपियोनेट नामक कंपाउंड से शरीर में ऐसे कई हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है जिससे मोटापा और डायबिटीज का खतरा हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 12:37 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 09:43 AM (IST)
जानें क्‍या है प्रोपियोनेट, डायबिटीज और मोटोपे के मरीजों के लिए क्‍यों है जोखिम
जानें क्‍या है प्रोपियोनेट, डायबिटीज और मोटोपे के मरीजों के लिए क्‍यों है जोखिम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। खाद्य पदार्थों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले प्रोपियोनेट नामक कंपाउंड से शरीर में ऐसे कई हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे मोटापा और डायबिटीज का खतरा हो सकता है। खाद्य पदार्थों को पकाने और कृत्रिम स्वाद लाने के लिए प्रोपियोनेट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिघम एंड वूमेंस अस्पताल के शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसानों और चूहों पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।

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हार्वर्ड के प्रोफेसर गोखन एस हॉटमिसलिजिल ने कहा कि खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों का शरीर के मेटाबोलिज्म पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने से मोटापा और डायबिटीज से निपटने के लिए आसान लेकिन प्रभावी तरीका ईजाद किया जा सकता है। दुनिया में इस समय 40 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।

वैज्ञानिकों ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ मोटापे और डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे लोगों की समझ कमजोर होती जाती है। ऐसे लोगों में दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित हो जाता है, जो कुछ सीखने और चीजों को याद रखने में मददगार होता है। वजन बढ़ने के साथ ही कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी है अपनी जीवनशैली में खास बदलाव की। स्वस्थ खानपान और नियमित व्यायाम के जरिए आप बढ़ते वजन पर काबू पा सकते हैं। मोटापा बढने से डायबी‍टीज, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्टोन, कैंसर, अनिद्रा, जोडों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए हमे अपने डाइट प्लान को ध्यान में रखना चाहिए। टाइम पर खाना चाहिए, डाइट संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइडेट की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए।

मोटापा कम करने के उपाय

  • कम उर्जा वाले वयंजनों का सेवन करें। जैसे भूने चने, मूंग दाल, दलिया आदि का सेवन करें। इनमें फैट कम होता है।
  • दो बडे चम्मच मूली के रस शहद में मिलाकर बराबर मात्रा में पानी के साथ पिएं, ऐसा करने से माह के बाद मोटापा कम होने लगेगा।
  • हर रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद घोलकर मिला लीजिए। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।
  • सुबह नाश्ते में अंकुरित अनाज लीजिए। मूंग, चना और सोयाबीन को अंकुरित करके खाने से से उनमें मौजूद पोषक तत्‍वों की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
  • मौसमी हरी सब्जियों का प्रयोग ज्‍यादा मात्रा में करें। मौसमी सब्जियां जैसे - मेथी, पालक, बथुआ, चौलाईसाग हैं। इनमें कैल्शियम अधिक मात्रा में होता है।
  • सोयाबीन का सेवन कीजिए। इसमें ज्‍यादा मात्रा में प्रोटीन होता है और इसमें पाया जाने वाला आइसोफ्लेवंस नामक प्रोटीन शरीर से चर्बी को कम करता है।
  • खाने में गेहूं के आटे की चपाती बंद करके जौ और चने के आटे की चपाती लेना शुरू करें। जौ और चने में कार्बोहाइड्रेट पदार्थ होते हैं जो आसानी से पच जाते हैं।
  • अधिक चिकनाईयुक्त दूध, बटर तथा इससे बने पनीर का सेवन बंद कर दें। क्‍योंकि इनमें वसा ज्‍यादा मात्रा में होता है जो कि मोटापे का कारण बन सकता है।
  • फास्ट फूड, जंक फूड, कचौरी, समोसे, पिज्जा बर्गर न खाएं। कोल्ड ड्रिंक न पिएं, क्योंकि कोल्डा ड्रिंक की 500 मिलीलीटर मात्रा में 20 चम्मच शुगर होती है जिससे मोटापा बढ़ता है।

क्‍या है डायबिटीज

डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।वीडियो में हम आपको बता रहे हैं डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।

डायबिटीज के कारण

यह तो आप जानते ही होंगे कि हमारे शरीर की पेंक्रियाज ग्रंथी के ठीक से काम ना करने या फिर पूरी तरह से बेकार होने से डायबिटीज हो जाती है। हालांकि डायबिटीज होने के और भी कई कारक है लेकिन पेंक्रियाज ग्रंथी इसका सबसे बड़ा कारण है। दरअसल पेंक्रियाज ग्रंथी से तरह-तरह के हार्मोंस निकलते हैं, इन्हीं में से हैं इंसुलिन और ग्लूकान। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इंसुलिन के जरिए ही हमारे रक्त में, हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है, यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को एनर्जी मिलती है। डायबिटीज का कारण है इंसुलिन हार्मोंन का कम निर्माण होना। जब इंसुलिन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर ठीक से नहीं पहुंच पाती जिससे सेल्स की एनर्जी कम होने लगती है और इसी कारण से शरीर को नुकसान पहुंचने लगता है। जैसे- बेहोशी आना, दिल की धड़कन तेज होना इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं। इसके अलावा नीचे बताए गए 3 कारण भी डायबिटीज होने के लिए जिम्मेदार हैं।

ये 3 पेय हैं लाभकारी

1. आंवले के स्वरस या आंवले के जूस को 40 मिली लेकर उसमें 1 ग्राम हल्दी पाउडर और 6 ग्राम शहद डालकर उसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें। दूसरा उपाय है कि 20 ग्राम आंवला पाउडर लेकर उसमें 250 मिली पानी मिलाएं और उसको मध्यम आंच पर पकाएं और जब वो 1/4 मतलब लगभग 60 मिली रह जाए तो उसे उतार कर, छान कर, ठंडा करके उसमें 250 मिलीग्राम त्रिवंग भस्म, 500 मिलीग्राम छोटी इलायची का चूर्ण, 1 ग्राम हल्दी पाउडर, 6 ग्राम शहद को मिलाएं। इसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें।

2. दूसरा उपाय लगभग 150 ग्राम अमरुद के पत्ते लें, उन्हें पीस कर पानी में भिगो लें और सुबह उन पत्तों को छान के उस पानी को घूंट ले लेकर पिएं। इससे भी डायबिटीज में आराम मिलता है।

3. अगर आपका शुगर लेवल बहुत हाई है और आपको उसे नॉर्मल करना है तो 50 ग्राम बांस के पत्ते लेकर उसे 600 मिली पानी में उबालें जब तक कि वो 75 से 80 मिली के लगभग न रह जाए। अब उसे ठंडा करके, छान कर पीएं। इससे शुगर का लेवल जल्दी ही सामान्य अवस्था में आ जाता है। आयुर्वेद में पंचकर्म विधा के द्वारा भी हम डायबिटीज का इलाज कर सकते हैं।

डायबिटीज का इलाज

डायबिटीज एक ऐसा रोग है जिसका इलाज किसी दवा पर निर्भर नहीं है। यह एक लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ रोग है और आप अपने लाइफस्टाइल को बदलकर ही इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं। जो लोग डायबिटीज जैसे खतरनाक रोग की चपेट में आने के बाद भी गंभीर नहीं होते हैं यानि कि मीठा खाना नहीं छोड़ते, फास्ट फूड का शौक रखते हैं, बढ़ते वजन पर ध्या नहीं देते, व्यायाम या योग नहीं करते, शराब पीते हैं व मीठा खाना बंद नहीं करते उन लोगों के लिए जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। जबकि अगर रोगी अपने रोग को लेकर गंभीर रहें और अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें तो डायबिटीज से छुटकारा पाना संभव है।

डायबिटीज को कैसे रोकें

  • कम कैलोरी, विशेष रूप से कम संतृप्त वसा वाला आहार लेकर आप डायबिटीज की चपेट में आने से खुद को बचा सकते हैं। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने आहार में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी अधिक मात्रा में सेवन कीजिए।
  • जितना अधिक आप तनाव लेंगे उतना अधिक आप अस्वास्थ्यकर आदतों का पालन करेंगे। कई शोधों से यह पता चला है कि तनाव के कारण हॉर्मोन्स का स्राव बाधिक होता है और इससे रक्त ब्‍लड ग्‍लूकोज का स्‍तर बढ़ता है। इसलिए तनाव से बचने के तरीके आजमायें।
  • ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मधुमेह को हमेशा के लिए रोका जा सकता है। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है जो मधुमेह से जुड़े हैं। इसलिए, 45 साल की उम्र के बाद, हर साल नियमित रूप से पूर्ण स्वास्थ्य जांच कराना ज़रूरी है।

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