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    Operation Gibraltar: क्या था पाकिस्तानी फौज का ऑपरेशन जिब्राल्टर, कश्मीर पर बुरी नीयत से शुरू किया गया एक नाकाम मंसूबा

    Operation Gibraltar Details 1965 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया। इस ऑपरेशन का उद्देश्य स्थानीय लोगों को भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाना था। इस अभियान के तहत पाकिस्तान के प्रशिक्षित सैनिकों ने आम नागरिकों के वेश में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से भारत में घुसपैठ की।

    By Anil Pandey Edited By: Anil Pandey Updated: Mon, 19 May 2025 04:11 PM (IST)
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    ऑपरेशन जिब्राल्टर की पूरी कहानी जानिए। (Photo - Jagran Graphics)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 22 अप्रैल 2025 की तारीख किसी भी भारतवासी को भूली नहीं होगी। यह वही दिन था जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमारे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में लगभग दो दर्जन बेगुनाह लोगों की हत्या कर दी थी।

    पाकिस्तान लगातार अपनी जमीन पर आतंक की फसल उगा रहा है। 1947 में बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे की नीयत से हरकतें शुरू कर दी थीं। 1948 में कबायलियों की घुसपैठ के साथ ही उसके मंसूबे दिखना शुरू हो गए थे।

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    अब आते हैं अगस्त 1965 पर, जब पाकिस्तानी फौज ने एक ऑपरेशन शुरू किया जिसका नाम रखा गया 'ऑपरेशन जिब्राल्टर'। यहां सबसे पहले 'जिब्राल्टर' शब्द को समझने की जरूरत है।

    • यह एक अरबी शब्द 'जबल तारिक' से लिया गया है जिसका मतलब है 'तारिक का पहाड़'। यह पहाड़ स्पेन के दक्षिणी तट पर स्थित है।
    • इस ऑपरेशन के जरिये पाकिस्तान की मंशा कश्मीरी लोगों को विद्रोह के लिए उकसाना और इस राज्य को भारत से अलग करना था।

    पाकिस्तानी फौज में मेजर जनरल अख्तर हुसैन मलिक नाम का एक अधिकारी हुआ करता था। सन् 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में वह मारा गया था। माना जाता है कि 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के पीछे उसी का दिमाग था।

    उसने यह योजना बनाई थी कि पाकिस्तानी फौज गुरिल्ला लड़ाके तैयार करके उन्हें कश्मीर में भेजेगी, जो मुस्लिम आबादी को भारत के खिलाफ भड़काकर आंतरिक युद्ध जैसी स्थिति बनाएंगे। यह गुरिल्ला पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के वाशिंदे थे।

    हालांकि, पाकिस्तान ने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि उसने ऐसा कोई ऑपरेशन बनाया या शुरू किया है। 1965 के युद्ध के बाद इस ऑपरेशन को असफल मान लिया गया था।

    अयूब खान का पतन

    पाकिस्तान ने यह कभी भी नहीं स्वीकारा कि वह 1965 का युद्ध हार गया है। लेकिन इस बात को बहुत दिनों तक जनता से छुपाकर नहीं रखा जा सका। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान के तत्कालीन फौजी तानाशाह फील्ड मार्शल अयूब खान की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरना शुरू हो गया। 1969 में उसे सत्ता छोड़नी पड़ी और 1974 में गुमनामी के साये में वह इंतकाल फरमा गया।

    जब फौज में उठी बगावत की आवाज

    1965 में पाकिस्तानी एअर फोर्स के एअर मार्शल रहे नूर खान ने डान अखबार से बातचीत में कहा था, 'पाक फौज ने मुल्क को गुमराह किया है। आवाम को यह बताया कि भारत ने हमला किया और युद्ध शुरू किया, जबकि सच इसके उलट था और हम जंग हार चुके हैं।' हालांकि फौज ने उनके बयान को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया था।

    यह वही नूर खान थे, जिनके नाम से पाकिस्तानी एअरबेस भी बनाया गया और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत ने उसे तहस-नहस कर दिया है।

    इसके बाद भी पाकिस्तानी फौज और कठपुतलीनुमा राजनीतिक आका अपनी हरकतों से बाज नहीं आए हैं। रह-रहकर उन्होंने भारत को उकसाया ही है।

    आइए आपको कुछ ऐसे ही घटनाक्रमों के बारे में संक्षिप्त में बताते हैं:

    • 1947-1948: कश्मीर को लेकर पहला युद्ध हुआ था।
    • 1965: कश्मीर को लेकर दूसरा युद्ध, जिसमें भारतीय फौज लाहौर तक पहुंच गई थी।
    • 1971: पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की आजादी की लड़ाई। इसी दौरान पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था और बुरी तरह से हारने के बाद सरेंडर करना पड़ा था।
    • 1984: सियाचिन पर विवाद
    • 1999: कारगिल युद्ध
    • 2025: पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या। जिसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ।

    Source

    इस समाचार को बनाने के लिए हमने कई वेबसाइट्स में दी गई सूचनाओं एवं जानकारियों का उपयोग किया है। उनके नाम इस प्रकार हैं:

    • आयूब खान का ब्रिटानिका पेज: https://shorturl.at/42fP7
    • ऑपरेशन डेजर्ट हॉक की रिपोर्ट: https://shorturl.at/OVcbY
    • नेशनल ओपन स्कूल की किताब: https://shorturl.at/EdugK

    यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर में मिले 5 सबक को भूलेगा नहीं पाकिस्तान, भारत को भी इन लक्ष्यों की तरफ बढ़ाने होंगे कदम