Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण क्या है, क्यों होता है और कितने प्रकार का होता है? यहां जानें इसकी A TO z जानकारी
Solar Eclipse एक नहीं बल्कि तीन प्रकार के होते हैं। 25 अक्टूबर 2022 को जो सूर्य ग्रहण लग रहा है वो आंशिक सूर्य ग्रहण है। जब चंद्रमा पृथ्वी के एक हिस्से को पूरी तरह से ढक देता है तब आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण के कारण पहली बार इस साल की दिवाली 5 दिन की जगह 6 दिन तक चलेगा। आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है। शाम के 4 बजकर 29 मिनट (4:30 PM) से लेकर शाम के 6 बजकर 9 मिनट (6:09 PM)पर खत्म होगा।
वैसे तो सूर्य ग्रहण सदियों से लगते आ रहा है। ये कभी भारत में या तो अन्य देशों में भी देखने को मिलता हैं।लेकिन लोगों के मन में चल रहे सवाल अभी भी यहीं होते है कि आखिर सूर्य ग्रहण है क्या और इससे क्या सच में मानव जीवन प्रभावित होता है? तो चलिए हम आपको बताते चलते है कि आखिर सूर्य ग्रहण की इतनी चर्चा क्यों होती है और इसका लगने का असल कारण क्या है?
दिवाली के बाद सूर्य ग्रहण, क्या करें?
सूर्य हो या चंद्र हो, ग्रहण का लगना एक खगोलीय घटना है। धार्मिक और ज्योतिषी मान्यताओं के मुताबिक, आज 25 अक्टूबर 2022 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। सूर्य ग्रहण की चर्चा इस समय तेजी से हो रही है क्योंकि ये दिवाली जैसे बड़े त्योहार के बाद लग रहा है। लोगों के मन में कई सवाल है कि सूर्य ग्रहण का सूतक काल शुरू होने के बाद क्या पूजा कर सकते हैं? वहीं दिवाली के दिन पूजा करने के बाद कब लक्ष्मी जी की चौकी को हटाना है? ग्रहण लगने के बाद क्या खाना खाने में मनाही है? ऐसे ही सवालों का जवाब यहां आसान शब्दों में जानें।
सूर्य ग्रहण होता क्या है? (Solar Eclipse)
आसान भाषा में समझें तो जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तब चांद के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए पूरी तरह से ढक जाता है। इस प्रक्रिया को ही सूर्य ग्रहण लगना कहते है। पृथ्वी और सूर्य के बीच में चांद के आ जाने से पृथ्वी पर रोशनी नहीं पहुच पाती है जिसके कारण कुछ समय के लिए पृथ्वी का कुछ सतह दिन के उजाले में ही अंधेरा दिखने लगता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी जब एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब सूर्य ग्रहण लगता है। इसके अलावा 25 अक्टूबर को अमावस्या है और सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दौरान ही लगता है।
कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण?
अगर आपको ये बात नहीं पता तो हम आपको बताते हैं कि सूर्य ग्रहण एक नहीं बल्कि तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण। 25 अक्टूबर यानि कि आज जो सूर्य ग्रहण लग रहा है वो आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse)है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चांद जब पृथ्वी के एक हिस्से को पूरी तरह से ढक देता है तब आंशिक सूर्य ग्रहण लगता है। इसमें चंद्रमा की परछाई पूरे हिस्से को न ढकते हुए पृथ्वी के केवल एक ही हिस्से को ढकता है। आशिंक सूर्य ग्रहण के अलावा दो और सूर्य ग्रहण है पूर्ण सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण।
पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) क्या होता है?
एक सीधी रेखा में जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी होते हैं तब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है। ये सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण से बिल्कुल अलग होता है। पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पृथ्वी का एक भाग पूरी तरह से अंधेरे में तब्दील हो जाता है। इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे निकट होता है। जानकारी के लिए बता दें कि पूर्ण सूर्यग्रहण हर 100 साल में केवल एक बार ही होता है। अगला पूर्ण सूर्यग्रहण 8 अप्रैल, 2024 को लगने वाला है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) क्या होता है?
चंद्रमा जब पृथ्वी से दूर होता है तब वलयाकार सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है। लेकिन इस दौरान सूर्य रिंग आफ फायर जैसा प्रतीत होता है और आकार में भी छोटा दिखाई देने लगता है।
क्या है अग्नि वलय? (Ring of Fire)
अग्नि वलय, सूर्य ग्रहण के दौरान बनता है। सूर्य का केंद्र चंद्रमा से ढक जाता है जिससे सूर्य का केवल किनारा ही दिखाई देता है और ऐसी स्थिति में सूर्य का बाहरी किनारा बिल्कुल आग के छ्ल्ले जैसा दिखाई देता है। इसी को अग्नि वलय कहते हैं। बता दें कि सभी सूर्य ग्रहणों में अग्नि वलय का निर्माण नहीं होता है।
सूर्य ग्रहण देखने में क्या-क्या सावधानियां बरतें?
सूर्य ग्रहण के तीनों प्रकार में कैसे बरते सावधानी? जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगे तो आप सूरज को नंगी आंखों से देख सकते है। आज जो सूर्य ग्रहण लग रहा है यानि की आंशिक सूर्य ग्रहण, इसमें किसी तकनीकी तथा यंत्रों का इस्तेमाल करें और तभी सूरज को देखें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। नंगी आखों से अगर आपने आज का सूरज देखा तो आपके रेटिना में जलन हो सकता है। यहां तक की आप अंधे भी हो सकते हैं।
सूरज को देखने में क्या होती है परेशानी?
जी हां, आज का जो सूर्य ग्रहण लग रहा है उस आप भूलकर भी खुली आखों से न देखें। बता दें कि इस समय सूर्य से उत्सर्जित खतरनाक पराबैंगनी किरणें निकलती है जो आपके रेटिना में मौजूद उन कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जिनका काम रेटिना की सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचाना होता है। इससे आपका अंधापन, वर्णांधता (Colour Blindness) तथा दृश्यता (Vision) नष्ट हो सकती है।
अग्नि वलय का निर्माण क्या सभी प्रकार के सूर्य ग्रहण में होता है?
नहीं, अग्नि वलय का निर्माण सभी प्रकार के सूर्य ग्रहणों में नहीं होता है। अग्नि वलय, वलयाकार सूर्य ग्रहण में ही बनता है। चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान ही पड़ती है। चंद्रमा की छाया को सूर्य पर पड़ते हुए शायद आपने भी देखा होगा। बता दें कि वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा, सूरज को पूरी तरह ढक नहीं पाता है जिसके कारण चंद्रमा के चारों और सूरज की रोशनी का एक चमकीला वलय बन जाता है, जिसे अग्नि वलय या रिंग आफ फायर का नाम दिया गया है।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें, क्या न करें?
- सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ न करें।
- सूर्य ग्रहण के दौरान रसोई न बनाएं।
- गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।
- बच्चे और बुजुर्ग भी अतिरिक्त सावधानी बरतें।
- ग्रहण के दौरान शुभ कार्य न करें।
- सूतक काल प्रभावी रहने पर भगवान का ध्यान करें।
- सूतक काल में यात्रा न करें।
- सूर्य ग्रहण के दौरान अराध्य देव का मंत्र जाप करें।
- सूर्य ग्रहण के बीच गायत्री मंत्र का जाप फलदायी होता है।
किन शहरों में कब दिखाई देगा?
- दिल्ली 04:28- 05:42 PM तक
- कोलकाता 04:51- 05:04 PM तक
- लखनऊ 04:36-05:29 PM तक
- हैदराबाद 04:58- 05:48 PM तक
- भोपाल 04:42- 05:47 PM तक
- मुंबई 04:49-06:09 PM तक
- चेन्नई 05.13- 5.45 PM तक
- पटना 04. 42 -05. 14 PM तक
- जयपुर 04.31-05. 50 PM तक
- चंडीगढ़ 04:23 -05:41 PM तक
- नागपुर 04:49 - 05:42 PM तक
- बेंगलुरु 05:12 - 05:56 PM तक
- अहमदाबाद 04:38-06:06 PM तक
- पुणे 04:51 - 06:06 PM तक
- मथुरा 04:31 - 05:41 PM तक