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    बंगाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रवासी श्रमिकों को मिलेगा फोटो पहचान पत्र; जानिए क्या लगा था आरोप

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए फोटो पहचान पत्र जारी करने जा रही है। राज्य श्रम विभाग ने नीतिगत फैसला लिया है जिसके तहत कर्मसाथी पोर्टल पर पंजीकरण कराकर श्रमिक पहचान पत्र प्राप्त कर सकेंगे। पहचान पत्र में नाम पता और फोटो होगा। सरकार प्रचार-प्रसार के माध्यम से श्रमिकों को इसकी जानकारी देगी।

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    प्रवासी श्रमिकों को लेकर ममता सरकार का बड़ा फैसला। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा शासित राज्यों में काम कर रहे बंगाल के प्रवासी श्रमिकों पर कथित अत्याचार के सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इस बीच बंगाल सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की पहचान को लेकर नीतिगत फैसला लिया है।

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    राज्य सरकार अब अपने राज्य के सभी प्रवासी श्रमिकों को फोटो पहचान पत्र जारी करेगी। राज्य श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में नीतिगत फैसला पहले ही लिया जा चुका है। अब पहचान पत्र कार्ड के लिए डिजाइन बनाने का काम चल रहा है। इसे जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। फोटो के अलावा, पहचान पत्र में नाम-पता आदि के साथ और क्या-क्या लिखा होगा, इस पर अभी काम चल रहा है।

    कर्मसाथी नाम के पोर्टल मिलेगा पहचान पत्र

    राज्य सरकार का कर्मसाथी नाम का एक पोर्टल है, जो केवल प्रवासी श्रमिकों के लिए ही है। राज्य सरकार ने कोरोना काल के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की सहायता व उन्हें राज्य में वापस लाने के लिए इस पोर्टल का शुभारंभ किया था। श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, प्रवासी श्रमिक कर्मसाथी पोर्टल पर अपना नाम दर्ज कराकर पहचान पत्र प्राप्त कर सकेंगे।

    अधीर रंजन चौधरी ने भी की मांग

    इस पहचान पत्र के बारे में प्रवासी श्रमिकों को जानकारी देने के लिए राज्य सरकार प्रचार-प्रसार भी चलाएगी। इसके लिए अलग से योजनाएं बनाई जा रही हैं। गौरतलब है कि पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी प्रवासी श्रमिकों के लिए पहचान पत्र की मांग उठाई है।

    बुधवार को युवा कांग्रेस की मध्य कोलकाता जि़ला समिति द्वारा आयोजित एक बैठक में अधीर ने कहा कि राज्य सरकार के पास इस बात का रिकार्ड नहीं है कि राज्य के कितने श्रमिक दूसरे राज्यों, दूसरे देशों में काम करने जाते हैं। राज्य सरकार को प्रवासी श्रमिकों को पहचान पत्र देना चाहिए।

    हालांकि राज्य सरकार पहले ही सार्वजनिक रूप से कह चुकी है कि बंगाल के कुल 22 लाख प्रवासी श्रमिक राज्य के बाहर अपनी आजीविका कमाते हैं।

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