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    बंगाल में SIR पर सियासी संग्राम, ममता बनर्जी कोलकाता में निकालेंगी विरोध मार्च

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सियासी घमासान मचा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध कर रही हैं। ममता बनर्जी ने कोलकाता में विरोध मार्च का ऐलान किया है। बीजेपी ने ममता पर बीएलओ को धमकाने का आरोप लगाया है। तृणमूल नेता कुणाल घोष ने शिक्षकों को बीएलओ के रूप में इस्तेमाल करने पर सवाल उठाए हैं।

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    ममता बनर्जी। (फाइल)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाताः बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के फैसले को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी उनके पार्टी महाचिव भतीजे अभिषेक बनर्जी से लेकर उनके दल के नेता व मंत्री एसआइआर का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

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    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की है कि वह अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए मंगलवार को कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगी।

    बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR

    चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की है कि अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण चलाया जाएगा। यह एसआइआर का पहला चरण चार नवंबर से चार दिसंबर तक चलेगा। नौ दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा और सात फरवरी को अंतिम सूची जारी की जाएगी।

    BJP ने ममता पर BLO को धमकाने का आरोप लगाया

    वहीं दूसरी ओर बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी उत्तर 24 परगना जिले में एसआइआर के माध्यम से घुसपैठियों को बाहर निकालने की मांग को लेकर जुलूस निकालेंगे। इस बीच भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीएलओ को एसआइआर प्रक्रिया को विफल करने के लिए धमकाने का आरोप लगाया।

    उन्होंने कहा कि सभी जिलों के सभी बीएलओ प्रशिक्षण ले रहे हैं। हमें उम्मीद है कि वे बिना किसी डर के काम करेंगे। अगर ममता बनर्जी सोचती हैं कि वे उन्हें धमकाकर एसआइआर प्रक्रिया को रोक देंगी, तो वे गलत हैं।

    शिक्षकों का बीएलओ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है- कुनाल घोष

    इस बीच, तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि राज्य सरकार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि शिक्षकों का बीएलओ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि एसआइआर प्रक्रिया शिक्षकों को नियमित घंटों से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर करती है और इससे उनके लिए समस्याएं पैदा हुई हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग को इस बीएलओ की तैनाती के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी।

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