Weather Updates: पहाड़ों पर बर्फबारी तो मैदानी राज्यों में हुई बूंदाबांदी; ठंड से अभी नहीं मिलने वाली राहत!
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में रविवार की सुबह बूंदाबादी से हुई। राजस्थान के कई जगहों पर ओले गिरे। अभी ठंड से राहत मिलने की संभावना कम है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी राज्यों में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश के कारण ठंड एक बार फिर बढ़ गई है और अभी कम होने की संभावना कम है। लेकिन, इस बूंदाबांदी ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है। कृषि विज्ञानियों के मुताबिक, यह बारिश फसलों के लिए अमृत के समान है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में रविवार की सुबह बूंदाबादी से हुई। राजस्थान में शनिवार देर रात से ही बारिश शुरू हो गई थी। कई जगहों पर ओले भी पड़े।
पहाड़ों में शुरू हुई बर्फबारी
उत्तराखंड में मौसम ने फिर करवट बदल ली है और घने बादलों के बीच वर्षा-बर्फबारी का क्रम शुरू हो गया है। उत्तराखंड में चारधाम समेत तमाम ऊंची चोटियों पर दोपहर बाद हिमपात हुआ, जबकि निचले इलाकों में शाम को एक से दो दौर की वर्षा हुई। जम्मू कश्मीर में दिन में बादल छाए रहने के बाद रात को उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में हिमपात व मैदानी क्षेत्रों में वर्षा शुरू हो गई। लद्दाख के कारगिल जिले के तांगोल में हिमस्खलन की चपेट में आई दो लड़कियों की बर्फ में दबने से मौत हो गई।
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल स्पीति सहित रोहतांग, शिंकुला, बारालाचा, कुंजम, चंबा जिले के पांगी व भरमौर समेत अन्य चोटियों पर हिमपात हुआ। दारचा-शिंकुला मार्ग सभी वाहनों के लिए बंद हैं। राजधानी शिमला में देर शाम को 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा गति से आंधी चली।
खेतों में नमी की कमी हुई दूर
पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान विज्ञानी डॉ. जेपीएस डबास का कहना है कि हल्की वर्षा से नमी की कमी दूर हो गई। ऐसे इलाके जहां सिंचाई के लिए उपयुक्त साधन नहीं हैं, वहां के लिए वर्षा काफी फायदेमंद है। खेतों को तैयार करना अब काफी आसान होगा। आने वाले एक से दो सप्ताह के भीतर ग्रीष्मकालीन सब्जियों की रोपाई का उपयुक्त समय होगा। डॉ. डबास ने सचेत भी किया कि हल्की वर्षा और हवा के बाद ओले पड़ने का खतरा बन जाता है।
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दवा का न करें छिड़काव
कृषि विज्ञानियों का कहना है कि अभी हल्की वर्षा के बाद फसल पर दवा का छिड़काव नहीं करें। यदि बहुत जरूरी हो तो घोल में चिपकने वाला पदार्थ मिला दें, ताकि घोल पौध पर जम सके। बूंदाबांदी के कारण खरपतवार व कीट का प्रकोप बढ़ने की संभावना रहेगी। ऐसे में सतर्कता जरूरी है।
मोदीपुरम स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मौसम विज्ञानी डॉ. यूपी शाही का कहना है कि बारिश अथवा बूंदाबांदी से चना, मसूर, मटर, गन्ना, गेहूं के अलावा अन्य हरी सब्जियों की फसलों को फायदा मिलेगा। बारिश के पानी से पत्तियों पर लगा कीटाणु या किसी तरह रोग खत्म हो जाता है।
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