किसानों की बढ़ने वाली है टेंशन, मौसम के इस तेवर से कम हो सकती गेहूं की पैदावार; कृषि विज्ञानी भी चिंतित
मौसम के तेवर ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गेहूं के फसल के अनुकूल अभी ठंड नहीं पड़ रहा है। इसका असर अंकुरण में पड़ रहा है। कृषि विज्ञानियों ने भी इस पर चिंता व्यक्त की। अगर ऐसा रहा तो गेहूं का रंग काला पड़ सकता है। उत्पादन पर भी इसका असर पड़ सकता है। मिट्टी में नमी नहीं होनी की वजह से किसानों को अधिक सिंचाई करनी पड़ेगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ठंड आने में विलंब का असर रबी फसलों पर भी दिखने लगा है। अनुकूल मौसम नहीं होने के चलते गेहूं एवं सरसों समेत रबी मौसम की कई फसलें प्रभावित होने लगी हैं। मिट्टी में नमी की कमी होने लगी है। इस वजह से अंकुरण देर से हो रहा है। उन्हें उचित पोषण भी नहीं मिल पा रहा है।
पौधों की वृद्धि की रफ्तार भी सुस्त पड़ रही है। कृषि विज्ञानियों का मानना है कि अगर दो सप्ताह तक तापमान की स्थिति ऐसी ही बनी रही तो उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।
तिलहन फसलों की बुआई सुस्त
गेहूं के पौधे का रंग काला पड़ सकता है। गेहूं की फसल के लिए रात का तापमान अधिकतम तीन से चार डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, जो अभी नहीं है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में रात में भी सात से दस डिग्री तक तापमान है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह तक गेहूं, गर्मा धान, दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई का क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में अधिक दर्ज किया गया है। सिर्फ तिलहन फसलों की बुआई ही सुस्त थी।
पौधों के लिए अभी मौसम अनुकूल नहीं
मौसम के इस तेवर को कृषि वैज्ञानिक अच्छा नहीं मान रहे। उनका कहना है कि धान की कटनी के बाद सामान्य से अधिक गर्म मौसम के चलते मिट्टी की नमी तेजी से खत्म होने लगी तो किसान रबी फसलों की बुआई समय से पहले करने लगे। यहां तक तो ठीक है, किंतु पौधों की सेहत के लिहाज से इसे अच्छा नहीं कहा सकता है, क्योंकि पौधों की जरूरत के अनुसार मिट्टी को नम रखने के लिए पानी की अधिक जरूरत पड़ेगी।
अगर दिसंबर के अंत तक हल्की बारिश हो जाए और तापमान में तीन-चार डिग्री तक गिरावट आ जाए तो उत्पादन दर बढ़ सकती है। ऐसा नहीं हुआ तो रबी फसलों की लागत के साथ-साथ किसानों की फजीहत भी बढ़ सकती है।
दलहन से अधिक गेहूं की बुआई हुई
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार दलहन से ज्यादा गेहूं की बुआई हुई है। गुजरात एवं राजस्थान में इस बार सरसों की तुलना में गेहूं और आलू की अधिक बुआई की गई है, क्योंकि लौटते मानसून में सितंबर-अक्टूबर में ज्यादा वर्षा के चलते खेतों में पानी भर गया था। इससे खरीफ की फसल चौपट हो गई थी और सरसों की बुआई भी समय पर नहीं हो सकी।
संशय में किसान
दिसंबर से फरवरी तक का मौसम रबी फसलों के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है। किंतु इसी दौरान देश के दक्षिणी राज्यों में चक्रवातीय बारिश हो रही है। इससे रबी फसलों की जड़ में पानी लगने का खतरा बढ़ रहा है, जबकि उत्तरी हिस्से में वर्षा का अभाव है। अधिक तापमान ने पौधों की वृद्धि भी रोक दी है। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि गर्म मौसम के चलते अभी ज्यादा नुकसान नहीं है। किंतु बारिश नहीं हुई तो समस्या आगे गंभीर हो सकती है। किसान संशय में हैं।
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