एक मिनट में जान सकेंगे पानी में फ्लोराइड की मात्रा
आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने अपने शोध के सहारे एक ऐसी राह खोल दी है जिससे पानी में फ्लोराइड की बढ़ी हुई मात्रा से होने वाली बीमारियों से एक हद तक बचाव हो सकता है।
मंडी (हंसराज सैनी)। अब पानी में फ्लोराइड का स्तर जांचने के लिए न तो सरकारी तंत्र पर निर्भर रहने की जरूरत है और न ही तमाम एजेंसियों के सच्चे-झूठे निष्कर्षों पर भरोसा करने की। यह काम आप घर बैठे कर सकते हैं और वह भी महज दस रुपये की किट के सहारे। आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने अपने शोध के सहारे एक ऐसी राह खोल दी है जिससे पानी में फ्लोराइड की बढ़ी हुई मात्रा से होने वाली बीमारियों से एक हद तक बचाव हो सकता है। यहां के स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के तीन विशेषज्ञों डॉ. सतिंद्र कुमार शर्मा, डॉ. अजय सोनी व महेश सोनी ने पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक मिनट में बता देने वाली किट तैयार की है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस संस्थान को फ्लोराइड की मात्रा जांचने के लिए किट के शोध का जिम्मा नवंबर 2016 में सौंपा था। यह शोध महज आठ माह में पूरा हो गया। पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा फ्लोरोसिस को जन्म देती है। इसका असर दांतों और हड्डियों पर पड़ता है। आठ वर्ष की आयु के बाद बच्चों के दांतों पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। दांतों में पीलापन आ जाता है। शरीर के सभी अंगों एवं प्रणालियों पर प्रभाव पड़ने से स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न प्रकार की शिकायतें होती हैं। अधिक फ्लोराइड गर्दन, पीठ, कंधे व घुटनों के जोड़ों व हड्डियों को प्रभावित करता है।
कैंसर, स्मरण शक्तिकमजोर होना, गुर्दे की बीमारी व बांझपन जैसी समस्या भी इससे हो सकती है। विदेश में पानी में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक सामान्य मानी जाती है, जबकि भारत में यह दर 1.0 मिलीग्राम निर्धारित है। अपने देश में लोग फ्लोराइड की जांच के लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग पर निर्भर हैं। अच्छी बात यह है कि कई चरणों की जांच के बाद अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन व ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने भी किट पर मुहर लगा दी है।
-आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने बनाई दस रुपये की सेंसर किट
-दांतों और हड्डियों पर असर डालने वाली फ्लोरोसिस बीमारी की रोकथाम में मिलेगी मदद
पानी में फ्लोराइड का स्तर अधिक होने के कारण दांतों में पीलापन आने की समस्या लगातार बढ़ रही है। अगर समय रहते पानी में फ्लोराइड की मात्रा का पता चल जाएगा तो इस समस्या से निजात मिल
सकती है।-डॉ. विकास जिंदल, निदेशक, हिमाचल डेंटल कॉलेज, सुंदरनगर
दूषित पेयजल से शरीर में कई बीमारियां पैदा होती हैं। पानी में फ्लोराइड की मात्रा जांचने के लिए ईजाद की गई किट परीक्षण की कसौटियों पर खरी उतरी है।- डॉ. सतिंद्र कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, आइआइटी मंडी
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