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    धरती को 6.94 लाख लीटर पानी पिला रहा जल भवन

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Wed, 07 Jun 2017 09:57 AM (IST)

    जल संस्थान मुख्यालय में पिछले 10 साल से किया जा रहा वर्षा जल का संचय

    धरती को 6.94 लाख लीटर पानी पिला रहा जल भवन

    जागरण संवाददाता, देहरादून: भले ही सरकार व जिम्मेदार विभाग वर्षा जल संचय के प्रति सुस्त रवैया अपनाए

    हों। लेकिन, उत्तराखंड जल संस्थान मुख्यालय (जल भवन) वर्षा जल संचय के लिए लोगों को जागरूक करने को मॉडल की भूमिका निभा रहा है। पिछले दस सालों से लगातार वर्षा जल संचय कर जल संस्थान अब तक 65 लाख लीटर पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर चुका है। अभी मुख्यालय में पानी बचाने का यह क्रम जारी है। वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक हर्षपति उनियाल के मार्गदर्शन में जल संस्थान मुख्यालय में वर्षा जल संचय की पहल हुई।

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    500 वर्ग मीटर की छत पर पानी एकत्रित कर तीन इंच के चार पाइपों के माध्यम से उसे 30 हजार लीटर के अंडर ग्राउंड टैंक में लाया जाता है। इस तरीके से जल संस्थान को हर साल आठ लाख 31 हजार लीटर पानी प्राप्त होता है। इसमें से 500 लीटर पानी यानी 275 दिन में एक लाख 37 हजार 500 लीटर पानी चार शौचालयों व

    बगीचे की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है और बाकी का 6.94 लाख लीटर पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज किया जाता है।

    फिल्टर नहीं, यहां है उत्तरांचल कूप: इस प्लांट की खास बात यह है कि यहां वर्षा जल को साफ करने के लिए

    फिल्टर प्लांट नहीं है, बल्कि उत्तरांचल कूप के माध्यम से पानी को साफ किया जाता है। उत्तरांचल कूप से पर्वतीय क्षेत्रोंमें पानी को साफ किया जाता है।

    पहला वर्षा जल संचय प्लांट: जल संस्थान मुख्यालय में बना यह वर्षा जल संचय प्रदेश का पहला प्लांट है। इसके बाद ही लोगों ने जागरूक होकर अपने घरों व प्रतिष्ठानों में वर्षा जल संचय की व्यवस्था की है।

    मॉडल के रूप में भी करते हैं इस्तेमाल

    जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके गुप्ता बताते हैं कि वर्षा जल संचय के इस प्लांट को मॉडल के रूप में भी इस्तेमाल करता है। जो भी व्यक्ति जल संचय के बारे में जानकारी लेने आता है, अधिकारी उसे इस प्लांट को दिखाकर बारीकियां समझाते हैं।

    ऐसे काम करता है उत्तरांचल कूप

    एक पाइप को करीब तीन मीटर जमीन में गाड़ दिया जाता है। फिर पानी को तीन मीटर नीचे पहुंचाकर पानी में डाला जाता है और ऊपरी हिस्से से बाहर निकाला जाता है। इससे पानी बिना फिल्टर किए प्राकृतिक तरीके से साफ हो जाता है।

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