Waqf Bill: SC से खारिज नहीं होगा वक्फ संशोधन कानून, लेकिन पास करनी होगी ये तीन परीक्षा
Supreme Court On Waqf Amendment Act वक्फ बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में मुसलमानों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कानून को समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14 और 15) का उल्लंघन बताया गया है। जबकि सरकार का तर्क है कि कानून में मुस्लिम महिलाओं के हित संरक्षित किये गए है और अनुच्छेद 15 के तहत सरकार को महिलाओं के लिए विशेष प्रविधान करने का अधिकार है।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। (Waqf Bill) राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक कानून (Waqf Law 2025) बन चुका है। हालांकि संसद के दोनों सदनों से पारित होते ही इसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Waqf Bill) में चुनौती दे दी गई। अभी तक कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं जिनमें इसे संविधान के खिलाफ और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते चुनौती दी गई है।
लेकिन अगर किसी कानून को परखने के कोर्ट के दायरे को देखा जाए तो वो थोड़ा सीमित होता है। किसी भी कानून को तीन आधारों, विधायी सक्षमता, संविधान का उल्लंघन और मनमाना होने के आधार पर कोर्ट परखता है। तीनों आधारों को देखा जाए तो शीर्ष अदालत से इसे खारिज कराना बहुत आसान नहीं लगता।
क्या है कानूनी सिद्धांत?
- मगर यह जरूर है कि मामले पर सुनवाई के बाद अगर सुप्रीम कोर्ट से विस्तृत फैसला आता है तो देश में धार्मिक दान की संपत्तियों के प्रबंधन पर स्पष्ट व्यवस्था आ सकती है।
- वक्फ संशोधन कानून 2025 के अदालत पहुंचने पर जरूरी हो जाता है कि किसी कानून पर विचार के तय कानूनी सिद्धांतों को देखा जाए।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसआर सिंह कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी कानून की वैधानिकता पर मुख्यत: तीन आधारों पर विचार करता है।
क्या है तीन परीक्षा?
पहला कि जिस व्यक्ति या संस्था ने कानून पारित किया है उसे इसका अधिकार नहीं था यानी विधायी सक्षमता (लेजिस्लेटिव कांपीटेंस), दूसरा वह कानून संविधान के किसी प्रविधान या मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हो अथवा संविधान की मूल भावना के खिलाफ हो। तीसरा मनमाने ढंग से कानून पारित होना यानी आर्बीट्रेरीनेस।
याचिकाओं का मुख्य आधार क्या है?
इन तीन आधारों पर अगर वक्फ संशोधन कानून को देखा जाए तो विधायी सक्षमता की कसौटी पर संसद से घंटो बहस के बाद यह पारित हुआ है। दूसरा आधार संवैधानिक प्रविधानों के उल्लंघन का है।
कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में मुख्य आधार यही है कि यह कानून मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
याचिका में क्या दलील दी गई?
दलील है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों के प्रबंधन की आजादी मिली हुई है, जबकि इस नये कानून में मुसलमानों की इस आजादी में हस्तक्षेप होता है और सरकारी दखलंदाजी बढ़ती है। याचिकाओं में वक्फ बोर्ड के सदस्यों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने का भी विरोध किया गया है।
कानून धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में होने वाली बहस में धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार ही केंद्र में होगा और सुप्रीम कोर्ट जो व्यवस्था देगा वही लागू भी होगी। लेकिन कानून पर सरकार के तर्क को देखा जाए तो उसके अनुसार, यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है बल्कि संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है।
व्यवस्थित सुधारों की आवश्यकता
सरकार कानून को जायज ठहराते हुए तर्क दे रही है कि वक्फ प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करने के लिए व्यवस्थित सुधारों की आवश्यकता थी जिसके लिए वक्फ संशोधन कानून 2025 लाया गया। इससे पारदर्शिता, जवाबदेही और कानूनी निरीक्षण सुनिश्चित करके, वक्फ संपत्तियां गैर-मुसलमानों और अन्य हित धारकों के अधिकारों का उल्लंघन किये बगैर अपने इच्छित धर्मार्थ उद्देश्यों की पूर्ति कर सकती हैं।
वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (PC) के अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक सज्जाद लोन ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) पर चर्चा की अनुमति न देकर अध्यक्ष ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डाली है।
वक्फ कानून मुस्लिम महिलाओं के लिए वरदान
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के गरीबों और महिलाओं के लिए 'वरदान' बताया। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय के गरीबों और महिलाओं के लिए वरदान बनकर उभरा है। मुस्लिम समुदाय में 80% लोग इन्हीं लोगों से आते हैं। यह मुस्लिम राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे बजट सत्र के दौरान संसद द्वारा पारित किया गया था। राष्ट्रपति ने मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को भी अपनी मंजूरी दे दी।
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