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    Waqf Law 2025: आज से लागू हुआ वक्फ संशोधन अधिनियम, अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 07:45 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) कानून 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। इसके साथ ही देश में वक्फ से जुड़े कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव औपचारिक रूप से लागू हो गए हैं। केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को 8 अप्रैल 2025 से प्रभाव में लाने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। यह अधिसूचना भारत के राजपत्र (The Gazette of India) में प्रकाशित की गई है।

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    केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में आज से (08 अप्रैल) वक्फ संशोधन अधिनियम लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। जिसमें बताया कि वक्फ संशोधित कानून 8 अप्रैल से देश में प्रभावी कर दिया गया है। वक्फ संधोशन विधेयक को पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों और राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई थी। जिसके बाद आज से यह नया कानून प्रभावी होगा।

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    सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

    यह अधिसूचना भारत के राजपत्र (The Gazette of India) में प्रकाशित की गई है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए अधिनियम की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत 8 अप्रैल 2025 को वह तारीख घोषित की है जिस दिन से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के सभी प्रावधान प्रभावी हो जाएंगे।

    सुप्रीम कोर्ट में मिली कानून को चुनौती

    राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक कानून (Waqf Law 2025) बन चुका है। हालांकि, संसद के दोनों सदनों से पारित होते ही इसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Waqf Bill) में चुनौती दे दी गई है। अभी तक कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं जिनमें इसे संविधान के खिलाफ और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते चुनौती दी गई है।

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या दी है दलील?

    कानून के खिलाफ कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों के प्रबंधन की आजादी मिली हुई है, जबकि इस नये कानून में मुसलमानों की इस आजादी में हस्तक्षेप होता है और सरकारी दखलंदाजी बढ़ती है। याचिकाओं में वक्फ बोर्ड के सदस्यों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने का भी विरोध किया गया है।

    सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया कैविएट

    वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल को सुनवाई संभावित है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में कैविएट दाखिल की है, ताकि बिना उसकी दलीलें सुने कोई आदेश पारित न किया जा सके।

    5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी

    अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, संसद से पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 मंगलवार यानी 8 अप्रैल से प्रभाव में आ गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी।

    10 से अधिक याचिकाएं दायर, कई बड़े नेता भी याचिकाकर्ता

    नए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 10 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलमा-ए-हिंद, DMK, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, RJD सांसद मनोज झा और फैज़ अहमद जैसे नाम शामिल हैं।

    अधिनियम को बताया गया अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला

    AIMPLB की याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम न सिर्फ मुस्लिम अल्पसंख्यकों को उनके धार्मिक ट्रस्ट व संपत्तियों के प्रशासन से वंचित करता है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

    DMK और अन्य दलों ने जताई गहरी आपत्ति

    DMK ने अदालत में दी अपनी याचिका में कहा है कि तमिलनाडु के 50 लाख और देशभर के 20 करोड़ मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि अन्य धर्मों के धार्मिक ट्रस्टों को जो संरक्षण मिला हुआ है, वह वक्फ ट्रस्टों से छीना जा रहा है—जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के खिलाफ है।

    जमीयत उलमा-ए-हिंद: यह संविधान पर सीधा हमला है

    जमीयत ने इसे “मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी पर सीधी चोट” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से अधिनियम को रद्द करने की मांग की है।

    क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?

    कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा है, इसलिए यह सुनवाई अहम साबित हो सकती है।

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