'भगवान की कृपा रही तो...', जगदीप धनखड़ ने 10 दिन पहले रिटायमेंट को लेकर कही थी ये बात
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सेहत का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी जिसमें उन्होंने उनके समर्थन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। धनखड़ ने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के साथ-साथ संसद सदस्यों के प्रति भी अपना आभार व्यक्त किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसी महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह 'सही समय' पर, ''दैवीय हस्तक्षेप'' के अधीन रिटायर होंगे।
जेएनयू में 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, "मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में रिटायर होऊंगा, बशर्ते भगवना की कृपा रहे।" लेकिन, किसे पता था कि महज दस दिन बाद वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
सेहत को हवाले देकर दिया इस्तीफा
धनखड़ ने सेहत के हवाले से यह चौंकाने वाला कदम उठाया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखे पत्र में कहा, "सेहत और डॉक्टरी सलाह मानने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देता हूं, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 67(ए) में जिक्र है।"
धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का शुक्रिया अदा किया और उनके साथ बेहतरीन कामकाजी रिश्तों की तारीफ की। उन्होंने लिखा, "मैं माननीय राष्ट्रपति के अटूट समर्थन और हमारे बीच बने शानदार कामकाजी रिश्ते के लिए तहे-दिल से शुक्रगुजार हूं।"
उन्होंने प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद का भी शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अनमोल रहा। मैंने अपने कार्यकाल में बहुत कुछ सीखा। संसद के सभी माननीय सदस्यों का प्यार, भरोसा और स्नेह मेरे दिल में हमेशा बसता रहेगा।"
राजस्थान से जुड़ी है धनखड़ की जड़ें
राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले धनखड़ 18 मई 1951 को एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में हुई। फिर उनका एडमिशन सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में करवाया गया। धनखड़ का एनडीए में चयन हो गया था, लेकिन वो गए नहीं।
उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद एलएलबी की पढ़ाई की। जयपुर में ही रहकर वकालत शुरू की थी। 70 साल के धनखड़ को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था।
वे 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा सांसद रहे। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
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