'जहां के रहने वाले वहीं से वोट देने का अधिकार', बिहार मतदाता सूची के सत्यापन के बीच बोले CEC; उदाहरण देकर समझाई ये बात
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि मतदाता को उसी क्षेत्र में पंजीकृत होना चाहिए जहाँ वे सामान्य रूप से रहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई दिल्ली में रहता है लेकिन पटना में घर है तो उसका वोट दिल्ली में होना चाहिए। बिहार में मतदाता सूची सत्यापन के बीच राजनीतिक दलों ने गलत तरीके से नाम हटाने के आरोप लगाए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के सघन सत्यापन व पुनरीक्षण की मुहिम के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि किसी भी व्यक्ति को सिर्फ उसी निर्वाचन क्षेत्र से अपने को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराना चाहिए, जहां का वह सामान्य निवासी है। लोक प्रतिनिधित्व कानून किसी व्यक्ति को सिर्फ सामान्य निवास वाले क्षेत्र में ही मतदान का अधिकार देता है।
उन्होंने उदाहरण भी दिया और बताया कि जैसे यदि आप सामान्य तौर से दिल्ली में रहते है पर आपका निजी घर पटना में है तो आपका वोट दिल्ली में होना चाहिए, न कि पटना में। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बूथ स्तर के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह स्थिति तब स्पष्ट की है, जब बिहार में सत्यापन के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के नाम मतदाता सूची से गलत तरीके से हटाए जा रहे हैं।
बिहार में बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता?
आयोग ने कहा कि सत्यापन की मुहिम में किसी भी ऐसे व्यक्ति का मतदाता सूची से नहीं हटाया जा रहा है, जो वहां रह रहे है। इस अभियान का एक अहम उद्देश्य ऐसे लोगों की पहचान करना है, जिन्होंने जाने या अनजाने विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से कई वोटर कार्ड हासिल कर लिए हैं। आयोग ने स्थिति इस लिहाज से भी स्पष्ट की है कि बिहार में बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता है जो नौकरी या काम-धंधे के सिलसिले में किसी दूसरे शहर या राज्य में रहते हैं। आशंका है कि कुछ ऐसे लोगों ने अपने सामान्य निवास क्षेत्र और अपने मूल निवास दोनों से मतदाता बने हुए है। गौरतलब है कि मतदाता सूची के सत्यापन पिछले 52 वर्षों में अब तक नौ बार पूरे देश में या अलग हिस्सों में हो चुका है, वहीं बिहार में इससे पहले 2003 में यह सत्यापन हुआ था।
चुनाव आयोग ने टीएमसी के प्रतिनिधि मंडल से की मुलाकात
चुनाव सुधार को लेकर राजनीतिक दलों से मुलाकात के क्रम में चुनाव आयोग ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की। इस दौरान आयोग ने चुनाव सुधार के क्रम में पिछले कुछ महीनों में उठाए गए अपने कदमों से उन्हें अवगत कराया। साथ ही उसके सुझाव को भी सुना। बैठक में तृणमूल कांग्रेस की ओर से चंद्रिमा भट्टाचार्य, कल्याण बनर्जी जैसे नेता बैठक में शामिल थे, जबकि आयोग की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, डा एसएस संघू व डा विवेक जोशी सहित पूरी टीम मौजूद थे। इससे पहले आयोग कांग्रेस पार्टी को छोड़कर सभी राष्ट्रीय दलों के साथ सीधी चर्चा कर चुका है।
तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग को जो सुझाव दिए है, उनमें बिहार की मतदाता सूची का सत्यापन 2003 को आधार मानकर करने की जगह 2024 को आधार मानकर करने का सुझाव दिया। साथ ही कहा कि 2024 में हुए आम चुनाव में जिन्होंने वोट किया है और वे मतदाता रहे है तो उन्हें आप कैसे हटाएंगे। इसके साथ चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों के साथ राज्य की पुलिस को मतदान केंद्रों के अंदर तैनात करने की मांग रखी। फेंक वोटर के मुद्दे को गंभीरता से निपटने और चुनाव के पहले महाराष्ट्र, दिल्ली में अचानक से बढ़े मतदाताओं का मुद्दा भी उठाया। उनका दावा था कि आयोग ने उन्हें पूरी गंभीरता से सुना और कार्रवाई का भरोसा दिया।
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