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    'इसका प्रविधान तो संविधान में है', बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर बवाल; अब चुनाव आयोग का आया जवाब

    Updated: Mon, 30 Jun 2025 04:39 PM (IST)

    बयान में ये भी कहा गया है कि बिहार की 2003 की मतदाता सूची पिछली गहन समीक्षा के बाद प्रकाशित हुई थी। इसकी उपलब्धता आसान होने से राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में काफी सुविधा होगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं में से लगभग 60 प्रतिशत लोगों को कोई दस्तावेज पेश करना नहीं पड़ेगा।

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    बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन पर चुनाव आयोग

    नई दिल्ली, पीटीआई। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। विपक्षी दल चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। इन सब के बीच चुनाव आयोग ने सोमवार (30 जून, 2025) को कहा कि इसके रिवीजन की जरूरत है, क्योंकि वोटर लिस्ट कई कारणों से बदलती रहती है और संविधान में ये सुनिश्चित करने का प्रविधान है कि केवल पात्र नागरिक ही मतदाता सूची का हिस्सा हों और जो पात्र नहीं हैं, उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है।

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    विपक्षी दलों का कहना है कि गहन पुनरीक्षण से राज्य मशीनरी का इस्तेमाल करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर करने का खतरा है। इस पर चुनाव आयोग ने बयान जारी करके कहा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण बेहद जरूरी है क्योंकि यह एक गतिशील सूची है, जो मौत, प्रवास की वजह से लोगों की शिफ्टिंग और 18 साल की उम्र पूरी कर चुके नए मतदाताओं के जुड़ने की वजह से बदलती रहती है।

    'संविधान का आर्टिकल 326 वोटर बनने के लिए पात्र बनाता है'

    चुनाव आयोग ने कहा, "इन सब के अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 वोटर बनने के लिए पात्र बनाता है। केवल 18 साल की उम्र से ज्यादा के भारतीय नागरिक और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी ही मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।" चुनाव आयोग ने कहा कि उसने बिहार की 2003 की मतदाता सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण है। इसका इस्तेमाल 2003 की सूची में शामिल लोग अपना गणना फार्म जमा करते समय दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में कर सकते हैं।

    '60 प्रतिशत लोगों को नहीं पेश करना पड़ेगा दस्तावेज'

    बयान में ये भी कहा गया है कि बिहार की 2003 की मतदाता सूची पिछली गहन समीक्षा के बाद प्रकाशित हुई थी। इसकी उपलब्धता आसान होने से राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में काफी सुविधा होगी, क्योंकि अब कुल मतदाताओं में से लगभग 60 प्रतिशत लोगों को कोई दस्तावेज पेश करना नहीं पड़ेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची से अपने विवरण का सत्यापन करना होगा और भरा हुआ गणना फॉर्म जमा करना होगा।

    2003 की मतदाता सूची में नाम नहीं होने पर क्या करना होगा?

    बयान में आगे कहा गया कि जिस किसी का नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वे अपने माता-पिता के लिए कोई और दस्तावेज देने के बजाय 2003 मतदाता सूची के अंश का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में मामले में उसके माता या पिता के लिए अन्य दस्तावेज जरूरी नहीं होगा, केवल 2003 ईआर का प्रासंगिक अंश/विवरण की पर्याप्त होगा।

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