SIR में आधे मतदाताओं को नहीं देना होगा कोई दस्तावेज, चुनाव आयोग ने किन लोगों को दी ये छूट?
चुनाव आयोग के अनुसार पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की स्थिति में आधे मतदाताओं को कोई दस्तावेज नहीं दिखाना होगा। ज्यादातर राज्यों में मतदाता सूची का आखिरी पुनरीक्षण 2002 और 2004 के बीच हुआ था। नए मतदाताओं को एक फार्म भरना होगा। 1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि पूरे देश में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) होने की स्थिति में आधे मतदाताओं को कोई दस्तावेज नहीं दिखाना होगा। दरअसल, इन मतदाताओं के नाम उनके राज्यों में हुए पिछले एसआइआर के बाद तैयार मतदाता सूची में शामिल होंगे।
आयोग ने क्या कहा?
आयोग ने कहा कि ज्यादातर राज्यों में मतदाता सूची का आखिरी पुनरीक्षण 2002 और 2004 के बीच हुआ था। अगले एसआइआर के लिए इसी साल को कट-आफ डेट का आधार माना जाएगा। जिन लोगों के नाम उस समय की मतदाता सूची में थे, उन्हें अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए कोई नया कागज नहीं देना होगा।
जो नए मतदाता बनना चाहते हैं, उन्हें एक फार्म भरना होगा। राज्यों में अंतिम एसआइआर कट-आफ डेट के रूप में काम करेगा। मसलन, बिहार में 2003 की एसआइआर प्रक्रिया को आधार बनाया गया है। वहां के लगभग पांच करोड़ मतदाता (60 प्रतिशत) पहले से ही उस सूची में दर्ज हैं।
इसलिए उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देना पड़ा। वहीं लगभग तीन करोड़ नए मतदाताओं (40 प्रतिशत) से 11 निर्धारित दस्तावेजों में से कोई एक मांगा गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसमें 12वां दस्तावेज आधार कार्ड भी माना गया। दिल्ली की पिछली एसआइआर सूची 2008 की है और उत्तराखंड की 2006 की, जो अब राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
1987 के बाद जन्मे लोगों को अपनेमाता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे
मतदाता सूची पुनरीक्षण में ऐसे लोग जो नए वोटर बनना चाहते हैं या दूसरे राज्य से स्थानांतरित होकर आए हैं, उन्हें एक शपथपत्र भरना होगा। इसमें उन्हें यह बताना होगा कि वे भारत में कब जन्मे हैं:-
- एक जुलाई 1987 से पहले जन्मे हैं, तो खुद का जन्म प्रमाण देना होगा।
- एक जुलाई 1987 से दो दिसंबर 2004 के बीच जन्मे हैं, तो माता-पिता के जन्म या नागरिकता के दस्तावेज भी दिखाने होंगे।
- दो दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को साबित करना होगा कि माता-पिता में कम-से-कम एक भारतीय नागरिक हैं और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है। यानी उन्हें भी अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे।
15 करोड़ मतदाताओं के नाम कट सकते हैं
देश में लगभग 100 करोड़ मतदाता हैं। एक आकलन है कि पूरे देश में एसआइआर होने से इनमें से 15 करोड़ मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। इनमें दो-तीन जगह मतदाता सूची में दर्ज होने वालों से लेकर ऐसे मतदाता भी हो सकते हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन मतदाता सूची से उनका नाम नहीं हटा है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि आयोग जल्द ही पूरे भारत में विशेष पुनरीक्षण शुरू करने की तारीख तय करेगा और राज्यों में मतदाता सूची की समीक्षा का काम साल के अंत से पहले शुरू हो सकता है।
अब ईवीएम पर दिखेगा उम्मीदवार का रंगीन फोटो
मतदाता सूची को स्वच्छ बनाने की कोशिश में जुटा चुनाव आयोग अब इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को भी मतदाता अनुकूल बनाने में जुट गया है। इसके तहत आयोग ने ईवीएम पर उम्मीदवारों के रंगीन फोटो लगाने का फैसला किया है।
उम्मीदवारों का नाम भी पूरे देश में एक समान साइज में लिखा मिलेगा। इसके लिए उपयोग में किया जाने वाला कागज भी उत्तम गुणवत्ता का होगा। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले ईवीएम पर उम्मीदवारों का फोटो ब्लैक एंड व्हाइट छपा होता था। इससे कई बार मतदाता और खासकर बुजुर्ग मतदाता उम्मीदवार को सही तरीके से नहीं पहचान पाने की शिकायत करते थे।
इसे देखते हुए पूरे देश में सभी ईवीएम पर अब उम्मीदवारों के रंगीन फोटो लगाने का फैसला किया गया है। बिहार विधानसभा चुनाव से ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसके साथ ही उम्मीदवारों का नाम लिखने में शब्दों का आकार भी एक समान 30 प्वाइंट का कर दिया गया है और यह बोल्ड में होगा। अभी उम्मीदवारों के नाम अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग साइज में लिखे जाते थे।
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