NHAI परियोजनाओं में नहीं चलेगी सब-कांट्रैक्ट की मनमानी, ठेकेदारों के लिए नए नियम तैयार
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में ठेकेदारों की मनमानी पर लगाम लगाने का फैसला किया है। उप-ठेकों पर रोक ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नियमों की ढील का लाभ उठाकर राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं में मनमाने ढंग से काम करने वाले ठेकेदारों पर अब लगाम कसने का निर्णय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने किया है। मनमाने ढंग से अन्य ठेकेदारों को सब-कांट्रैक्ट (उप-ठेका) देने के प्रचलन पर रोक के साथ ही गुणवत्ता, समय सीमा में परियोजना पूरा करने और वित्तीय पारदर्शिता के लिए कुछ नियमों-प्रविधानों को संशोधित किया गया है।
एनएचएआइ की ओर से बुधवार को बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आरएफपी प्रविधानों को कड़ा किया गया है। दावा किया गया है कि आरएफपी के लिए बनाई गईं विभिन्न कठोर शर्तें यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगी कि केवल तकनीकी रूप से सक्षम और अनुभवी ठेकेदार ही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का काम करने के लिए पात्र हों। इनमें महत्वपूर्ण प्रविधान बोली पात्रता में ''समान कार्य'' मानदंड का स्पष्टीकरण है।
NHAI परियोजनाओं में नहीं चलेगी सब-कांट्रैक्ट की मनमानी
दरअसल, अभी तक ठेकेदार बड़े स्तर की राजमार्ग परियोजनाओं की पात्रता के लिए गलत तरीका अपना रहे थे। यह नियम की ढील ही थी कि केवल छोटे कार्य का अनुभव होने पर भी वह समान कार्य की पात्रता दिखा देते थे, जबकि तमाम बड़ी परियोजनाएं उनके द्वारा किए गए कार्यों की तुलना में अधिक जटिल भी होती हैं।
एनएचएआइ ने अब स्पष्ट किया है कि ''समान कार्य'' से तात्पर्य केवल उन्हीं राजमार्ग परियोजनाओं से होगा, जो उनके द्वारा पूरी की जा चुकी हैं और उक्त परियोजना में भी वह घटक शामिल रहे हों, जिसके लिए अब वह निविदा भरने जा रहे हैं। इसी तरह एचएएम और बीओटी (टोल) परियोजनाओं में ईपीसी ठेकेदारों और ईपीसी परियोजनाओं में उप-ठेकेदारों की अनधिकृत नियुक्ति पर भी ध्यान देने का प्रयास किया गया है।
ठेकेदारों के लिए नए नियम तैयार
ऐसे उदाहरण देखे गए हैं, जहां कंसेंशनायर या चयनित बोलीदाताओं ने प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति के बिना ठेकेदारों को नियुक्त किया है या अनुमन्य उप-ठेका सीमा को पार कर लिया है। इस तरह न केवल संविदात्मक मानदंडों का उल्लंघन होता है, बल्कि गुणवत्ता और परियोजना पूरी होने की समय सीमा भी प्रभावित होती है। अब किसी भी अनधिकृत उप-ठेके और अनुमन्य सीमा से परे उप-ठेके को स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में धोखाधड़ी के समान दंड लगाया जा सकेगा।
एनएचएआइ की ओर से बताया गया है कि सुधार का एक अन्य कदम ''बिड और परफार्मेंस सिक्योरिटी'' से संबंधित है। कुछ चयनित ठेकेदारों ने थर्ड पार्टी फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्रस्तुत की है, जिससे कि जवाबदेही तय करने में पेंच फंसता है। ऐसा वित्तीय रूप से अक्षम ठेकेदार अन्य फर्म के साथ ज्वाइंट वेंचर करते हुए करते हैं। अब ऐसी परफार्मेंस सिक्योरिटी को फाइनेंशियल बिड के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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