वोडाफोन आइडिया को फिर राहत: एजीआर बकाया फ्रीज, पांच साल का मोरेटोरियम
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी है। कंपनी के 87,695 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया को फ्रीज कर दिया गया है और इसके भुग ...और पढ़ें

वोडाफोन आइडिया को फिर राहत।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारी कर्ज के बोझ से जूझ रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (वीआइएल) को केंद्र सरकार ने एक बार फिर राहत पैकेज दे कर बचाने की कोशिश की है। जाहिर है कि लगभग 20 करोड़ ग्राहकों के लिए भी राहत होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कंपनी के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के तौर पर 87,695 करोड़ रुपये के बकाया रकम को फ्रीज करने और इसकी अदाएगी पर पांच साल के मोरेटोरियम लगाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी गई है। इससे कंपनी को तत्काल वित्तीय राहत मिलेगी और वह अपनी नेटवर्क विस्तार तथा संचालन को बेहतर बनाने में निवेश कर सकेगी।
कैबिनेट के उक्त फैसले के बारे में सरकारी सूत्रों ने बताया कि, एजीआर बकाया का भुगतान अब वित्त वर्ष 2031-32 से शुरू होकर 2040-41 तक किया जाएगा। इस दौरान कोई ब्याज नहीं लगेगा, जो जाहिर है कि कंपनी के लिए बहुत ही बड़ी राहत होगी। इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (डॉट) तीन फरवरी 2020 के डिडक्शन वेरिफिकेशन गाइडलाइंस और ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर इन बकायों की पुन: समीक्षा करेगा। समीक्षा का परिणाम सरकार द्वारा गठित एक समिति तय करेगी, जो दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होगा।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2017-18 और 2018-19 के एजीआर बकाये में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन दो वर्षों की राशि को सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2020 के आदेश से पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया था। इनका भुगतान 2025-26 से 2030-31 के बीच निर्धारित शेड्यूल के अनुसार ही करना होगा। लेकिन यह कोई बड़ी राशि नहीं है। यह राहत पैकेज सुप्रीम कोर्ट के 27 अक्टूबर और 3 नवंबर 2025 के फैसलों के अनुपालन में लिया गया है।
कोर्ट ने सार्वजनिक हित, सरकार की कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी और करीब 20 करोड़ उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए कहा था कि एजीआर मुद्दे पर पुनर्विचार करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। कोर्ट के इन निर्देशों के बाद वोडाफोन ने सरकार से राहत की मांग की थी।
टेलीकॉम सेक्टर को महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर मानते हुए सरकार ने इस कदम से सेक्टर में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और बाजार में एकाधिकार के प्रसार को रोकने के संदर्भ में भी देखा जा रहा है।
वोडाफोन खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद देश की तीसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है। इस सेक्टर में रिलायंस जियो और एयरटेल के बीच कांटे का मुकाबला है और वोडाफोन लगातार इसमें पिछड़ती जा रही है। इसका सब्सक्राइबर बेस भी घट रहा है। वित्तीय समस्याओं की वजह से कंपनी 4जी व 5जी नेटवर्क में ज्यादा निवेश भी नहीं कर पा रही है। नया पैकेज वोडोफोन के लिए जीवन रेखा साबित हो सकता है।

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