UPSC अभ्यर्थियों को झांसा दे रहा था ये इंस्टीट्यूट, लगा 11 लाख जुर्माना; 57 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी
संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को गुमराह करने के मामले में सीसीपीए ने विजन आइएएस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया ह ...और पढ़ें

विजन IAS पर भ्रामक विज्ञापन के आरोप में जुर्माना (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को गुमराह करने के मामले में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कड़ा रुख अपनाया है। भ्रामक विज्ञापन जारी करने के आरोप में प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान विजन आइएएस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
संस्थान ने दावे किए थे कि वर्ष 2023 में टाप-10 में उसके 7 और टाप-100 में 79 अभ्यर्थी चुने गए थे, जो गलत थे। अभी तक 57 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें 28 पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया जा चुका है।
विजन IAS पर भ्रामक विज्ञापन के आरोप में जुर्माना
प्राधिकरण ने सभी कोचिंग संस्थानों को चेतावनी दी है कि वे अपने विज्ञापनों में पूरी, सही और पारदर्शी जानकारी दें, ताकि अभ्यर्थी सही फैसला ले सकें और भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो।विजन आइएएस के विरुद्ध पहले भी झूठे दावे के मामले में कार्रवाई हो चुकी है।
इसके बावजूद उसने अनदेखी की, जिसके चलते उसे अधिक जुर्माना लगाया गया। संस्थान ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 2022 के परीक्षा परिणाम को लेकर भी ऐसे ही दावे किए थे, जिसमें 50 अभ्यर्थियों में 39 को सफल बताया गया था।
टॉप-10 में 7 और टॉप-100 में 79 के दावे गलत
दोनों वर्षों के परिणाम के दावों के साथ चयनित अभ्यर्थियों के नाम, फोटो और रैंक भी प्रमुखता से दिखाए गए थे। सीसीपीए की जांच में सामने आया कि संस्थान ने केवल एक अभ्यर्थी शुभम कुमार (एयर-1, यूपीएससी 2020) के बारे में स्पष्ट किया कि उन्होंने जीएस फाउंडेशन बैच का क्लासरूम कोर्स किया था।
लेकिन उसी पेज पर दिखाए गए अन्य सफल अभ्यर्थियों के बारे में नहीं बता पाया कि उन्होंने कौन-सा कोर्स किया था। इससे संदेश गया कि सभी चयनित अभ्यर्थी फाउंडेशन कोर्स के छात्र थे, जबकि ऐसा नहीं था।
57 कोचिंग संस्थानों को नोटिस, 28 पर जुर्माना
सीसीपीए की जांच में सामने आया कि 2022 और 2023 में जिन 119 से अधिक सफल अभ्यर्थियों का दावा किया गया, उनमें सिर्फ तीन अभ्यर्थियों ने ही फाउंडेशन कोर्स किया था। शेष 116 अभ्यर्थियों ने केवल टेस्ट सीरीज, अभ्यास टेस्ट या माक इंटरव्यू जैसी सीमित सेवाएं ली थीं।
इसके बावजूद संस्थान ने ऐसा प्रचार किया मानो सफलता का पूरा श्रेय उसी के महंगे फाउंडेशन कोर्स को जाता हो।प्राधिकरण ने इसे अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों को झांसा देने जैसा माना।
ऐसे भ्रामक विज्ञापन उनकी उम्मीदों और फैसलों को प्रभावित करते हैं। खासकर यूपीएससी जैसी कठिन और प्रतिस्पर्धी परीक्षा में, जहां छात्र वर्षों की मेहनत और लाखों रुपये खर्च करते हैं।

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