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बाइक की टक्कर से कवाल गांव के कांड के बाद भड़की थी मुजफ्फरनगर में हिंसा

बाइक की टक्कर के मामले में दो भाइयों की हत्या के बाद दूसरे पक्ष के एक युवक की हत्या के बाद हिंसा इतनी भड़की कि उसने मुजफ्फरनगर के साथ शामली जिला को भी अपनी चपेट में ले लिया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 04:34 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 05:45 PM (IST)
बाइक की टक्कर से कवाल गांव के कांड के बाद भड़की थी मुजफ्फरनगर में हिंसा
बाइक की टक्कर से कवाल गांव के कांड के बाद भड़की थी मुजफ्फरनगर में हिंसा

लखनऊ, जेएनएन। संयुक्त राष्ट्र संघ में उत्तर प्रदेश को बेहद चर्चा में लाने वाले मुजफ्फरनगर दंगा की जड़ में कवाल की हिंसा थी। करीब साढ़े पांच वर्ष पहले मुजफ्फरनगर के कवाल कस्बे में बाइक की मामूली सी टक्कर के मामले में दो भाइयों की हत्या के बाद दूसरे पक्ष के एक युवक की हत्या के बाद हिंसा इतनी भड़की कि उसने मुजफ्फरनगर के साथ शामली जिला को भी अपनी चपेट में ले लिया था। इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश सांप्रदायिक हिंसा में लंबे समय तक जलता रहा। इसमें अखिलेश यादव सरकार की काफी किरकिरी भी हुई।

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मुजफ्फरनगर जिला के कवाल गांव में 26 अगस्त 2013 को मलिकपुरा निवासी गौरव और कवाल निवासी मुजस्सिम के बीच बाइक साइकिल से टकराने पर कहासुनी हो गई थी। इसी विवाद में अगले दिन 27 अगस्त को मुजस्सिम, उसके साथी शाहनवाज और गौरव, उसके ममेरे भाई सचिन के बीच मारपीट हो गई, जिसमें गौरव व सचिन की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद गौरव के पिता ने जानसठ कोतवाली में कवाल के मुजस्सिम, मुजम्मिल, फुरकान, नदीम, जहांगीर, अफजाल और इकबाल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में मृतक शाहनवाज के पिता ने भी सचिन और गौरव के अलावा उनके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल ने जांच के बाद शाहनवाज हत्याकांड में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी थी। कवाल कांड के आरोपी मुजस्सिम व उसके भाई मुजम्मिल, फुरकान, जहांगीर, नदीम, अफजाल, उसके भाई इकबाल को कोर्ट ने बलवे की धारा 147, 148, 149, हत्या (302) और धमकी देने की धारा (506) में दोषी करार दिया।

इसके बाद घायल शाहनवाज ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया था। 28 अगस्त को सचिन और गौरव के अंतिम संस्कार से लौट रही भीड़ ने कवाल में पथराव और आगजनी कर दी थी। इस मामले में 30 अगस्त को शहर के खालापार में जुम्मे की नमाज के बाद दूसरे समुदाय की भीड़ ने डीएम और एसएसपी को ज्ञापन दिया था तो दूसरे पक्ष ने सचिन और गौरव की हत्या के मामले में कार्रवाई के लिए 31 अगस्त को नगला मंदौड़ में पंचायत बुला ली थी।

सात सितंबर को फिर से इस मामले में नगला मंदौड़ में पंचायत हुई। पंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद जिले में दंगा भड़क गया था। दंगा इतना बढ़ गया कि दो जिले जल उठे। मुजफ्फरनगर और शामली में काफी बड़े सांप्रदायिक दंगे भड़के थे। इन दो जिलों में दंगों में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों परिवार बेघर हुए थे।

हाल ही में यूपी सरकार ने 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के 38 आपराधिक मामलों को वापस लेने की सिफारिश की थी। इन मुकदमों को वापस लेने की संस्तुति रिपोर्ट 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को भेजी गई थी। यूपी सरकार ने दस जनवरी को इन मुकदमों को वापस लेने की स्वीकृति दी थी।

एसआईसी ने दी थी क्लीनचिट, कोर्ट ने ठहराया दोषी

कवाल केस में हाईकोर्ट से जमानत पाने वाले अफजाल और इकबाल पुत्र बुंदू भी कातिल ठहराए गए। वादी रविंद्र ने रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त अफजाल को इकबाल का पुत्र लिखवा दिया था। एसआईसी ने इसी आधार पर मुकदमे से उनके नाम निकाल दिए थे। कोर्ट में गौरव के पिता रविंद्र के बयान ने स्पष्ट किया कि अफजाल और इकबाल सगे भाई हैं। सचिन के पिता बिशन सिंह के भी कोर्ट में बयान हुए, तो दोनों को कोर्ट ने धारा सीआरपीसी 319 में तलब कर जेल भेजा था। दोषी ठहराए जाने के बाद दोनों फिर से कारागार में भेज दिए गए हैं। 


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