'यूनिवर्सिटीज को वैश्विक स्तर पर मुकाबला करने में...', विकसित भारत शिक्षा बिल के समर्थन में क्या बोले धर्मेंद्र प्रधान?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक-2025 पर विपक्षी दलों की आशंकाओं का जवाब देते हुए कहा कि इससे राज्यों के ...और पढ़ें

प्रधान ने कहा कि बिल यूनिवर्सिटीज को विश्व स्तर पर मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा (फोटो: एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए लाए गए विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक-2025 पर विपक्षी दलों की ओर से जताई जा रही आशंकाओं को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को जवाब दिया और कहा कि इससे राज्यों के हित कतई नहीं प्रभावित होंगे। बल्कि इसमें पहली बार राज्यों को प्रतिनिधित्व भी मिलेगा।
इस 12 सदस्यीय प्रस्तावित अधिष्ठान में दो सदस्य राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर स्तर के प्रतिष्ठित शिक्षाविद होंगे। सभी राज्यों को बारी-बारी से प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने इसके साथ ही यह भी साफ किया है कि विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के गठन से फंडिंग पैटर्न में भी कोई बदलाव नहीं होगा।
'पहले की तरह ही मदद देगा केंद्र'
पहले की तरह अधिष्ठान के जरिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ही उन्हें वित्तीय मदद देगा। मौजूदा समय में भी सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों व केंद्रीय वित्त पोषित संस्थानों को शिक्षा मंत्रालय ही यूजीसी के जरिए वित्तीय मदद देता है। राज्यों के विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को शिक्षा मंत्रालय की प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-ऊषा ) के तहत संसाधनों को जुटाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। प्रधान ने कहा कि बिल यूनिवर्सिटीज को विश्व स्तर पर मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा।
प्रधान ने बताया कि बजट सत्र में अधिष्ठान से जुड़े विधेयक को पारित कराने की तैयारी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यूजीसी अब तक रेगुलेशन, क्वालिटी और एक्रेडेटेशन पर एक साथ काम करता था, इसकी जगह अब विकसित भारत शिक्षा विनियमन परिषद, विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद और विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद लेंगी। अधिष्ठान के गठन के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों के एक्रेडेटेशन व रैंकिंग में छात्रों की भी राय ली जाएगी।
साथ ही छात्रों के लिए एक शिकायत सेल का भी गठन होगा। शिक्षा अधिष्ठान के नाम के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भारतीय शब्द है। वैसे भी हमें औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। गौरतलब है कि लोकसभा में सोमवार को विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक को पेश करने के साथ ही इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है।

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