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    'भारत जैसा कोई दूसरा देश ही नहीं...', कोलकाता में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- हमने दुनिया को दिखाई राह

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोलकाता में श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती समापन समारोह में कहा कि भारत की नींव सनातन धर्म में निहित है। उन्होंने भारत को अहिंसा शांति और भाईचारे का प्रतीक बताते हुए इसकी 5000 साल पुरानी संस्कृति को अद्वितीय बताया। साथ ही उन्होंने तारापीठ मंदिर में पूजा अर्चना की और भारत के धार्मिक स्थलों की अहमियत पर जोर दिया।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Fri, 28 Feb 2025 05:44 PM (IST)
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    उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने कई चुनौतियां देखीं है फिर भी विकास कर रहा है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि भारत की नींव सनातन धर्म में निहित है। धनखड़ ने कहा कि भारत अहिंसा, शांति और भाईचारे के सिद्धांतों के कारण सदियों से दुनिया के लिए मार्गदर्शक शक्ति रहा है और भविष्य में विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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    उपराष्ट्रपति कोलकाता में गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के समापन समारोह में यहां साइंस सिटी में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करते हुए संबोधित कर रहे थे।

    सनातन धर्म की समावेशिता और सार्वभौमिक मूल्यों पर जोर 

    धनखड़ ने सनातन धर्म की समावेशिता और सार्वभौमिक मूल्यों पर जोर देते हुए कहा कि यह देशभक्ति और जाति, पंथ व आर्थिक भेदभाव से ऊपर उठने का प्रतीक है। उन्होंने भारत की 5,000 साल पुरानी संस्कृति को दुनिया में अद्वितीय बताया।

    उन्होंने कहा कि भारत सदियों से आध्यात्मिक केंद्र रहा है और इसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने इस दौरान नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों के विनाश पर भी चिंता व्यक्त की, जो कभी वैश्विक ज्ञान केंद्र थे।

    'विश्व भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति को जानता है'

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने आक्रमणों के दौरान अकल्पनीय बर्बरता और विध्वंस देखा, लेकिन देश इन चुनौतियों से उबरकर फिर से विकास और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह यात्रा आध्यात्मिक उन्नति के बिना संभव नहीं होगी।

    विश्व भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति को श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु और श्रील प्रभुपाद जैसी महान हस्तियों के माध्यम से जानता है। इन विभूतियों ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रचार किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

    राष्ट्रीय आंदोलनों में बंगाल के योगदान और भूमिका का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे हर महत्वपूर्ण आंदोलन का अग्रदूत बताया, चाहे वह आध्यात्मिक हो, सांस्कृतिक हो या स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित। उन्होंने बंगाल को खुदीराम बोस, चित्तरंजन दास और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्मभूमि बताते हुए कहा कि इन नेताओं का योगदान राज्य और देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।

    उपराष्ट्रपति ने बीरभूम के तारापीठ शक्तिपीठ मंदिर में पूजा-अर्चना की

    उपराष्ट्रपति धनखड़ ने शुक्रवार को बंगाल के बीरभूम जिले में तारापीठ शक्तिपीठ मंदिर का भी दौरा किया और पूजा-अर्चना की। इस दौरान उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी उनके साथ थीं।

    "भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है क्योंकि हमारे धार्मिक स्थल और उनमें आस्था इसका प्रमाण है। यहां आने के बाद, हम दुनिया में भारत के कद को महसूस कर सकते हैं। हमारे धार्मिक स्थल प्रेरणा के स्रोत हैं। बता दें कि बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।" उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

    पूजा अर्चना के बाद उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, "तारापीठ मंदिर में दर्शन करके धन्य महसूस किया और पूरी मानवता के लिए आनंद की कामना की। मैंने भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने और अधिक प्रतिबद्धता के साथ लोगों के कल्याण पर काम करने का संकल्प लिया है।"

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