नए साल में अमेरिकी नीति से प्रभावित रहेगा वैश्विक व्यापार, भारत भी नहीं रहेगा अछूता; मगर ऐसे उठा सकता है फायदा
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को शपथ लेंगे। इसके बाद पूरी दुनिया की निगाहें उनके फैसलों पर टिकीं हैं। ट्रंप कनाडा मैक्सिको और चीन जैसों देशों के खिलाफ सख्त टैरिफ नीति का घोषणा कर चुके हैं। ब्रिक्स देशों के बहाने भारत को भी निशाने पर लिया। अगर ट्रंप कोई सख्त कदम उठाते हैं तो इसका असर कई सेक्टर पर पड़ने की संभावना है।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। सीमा शुल्क के साथ अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने एवं डॉलर को मजबूत करने को लेकर नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हाल की घोषणाओं से नए साल में वैश्विक व्यापार के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। जानकारों का कहना है कि भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा।
ट्रंप की नीतियों से भारत का स्टॉक बाजार, सोने का भाव, निर्यात, मैन्यूफैक्चरिंग, आईटी सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। इस आशंका को देखते हुए सरकार से लेकर रिसर्च एजेंसियों में हरेक परिस्थिति के लिए नीति बनाने पर मंथन शुरू हो गया है।
चीन पर ट्रंप की सख्ती का मिलेगा फायदा
आगामी 20 जनवरी को ट्रंप की शपथ ले रहे हैं। अब सबकी नजर 20 जनवरी के बाद ट्रंप के फैसले पर टिकी है। हालांकि मैक्सिको, कनाडा और चीन से आने वाले सामान पर सबसे अधिक सीमा शुल्क लगाने की ट्रंप की घोषणा से भारत को अमेरिका के बाजार में 25 अरब डॉलर के निर्यात बढ़ाने का मौका मिल सकता है। निर्यातक व सरकार दोनों ही इस दिशा में काम करना शुरू कर दिए हैं और पांच सेक्टर की पहचान भी कर ली गई है। इनमें लेदर उत्पाद, अपैरल, खिलौना, केमिकल्स व इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
भारत को बनानी होगी नुकसान की भरपाई की नीति
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के साथ हाल ही में निर्यातकों के समूह ने इस दिशा में बैठक भी की है। दूसरी तरफ विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) के मुताबिक ट्रंप के पहले शासन काल में भारत चीन के खिलाफ सख्ती का फायदा नहीं उठा सका था।
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अभी भारत को इस मौके को भुनाने के लिए तेजी से नीति बनाने और उस पर अमल की जरूरत होगी। हालांकि भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि दवा, जेम्स व ज्वैलरी, झींगा जैसे भारतीय उत्पादों पर अमेरिका अगर शुल्क लगाता है तो इससे इन वस्तुओं का निर्यात प्रभावित होगा और भारत को इस कमी की भरपाई के उपाय अभी से करने होंगे।
अगर भारत के पक्ष में रही ट्रंप की नीति तो क्या होगा?
अमेरिका को निर्यात करने वाले देशों में भारत नौवें स्थान पर है। भारत अमेरिका को सालाना 80-82 अरब डॉलर का निर्यात करता है जबकि चीन अमेरिका को सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु का 450 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात करता है। जानकारों का कहना है कि सीमा शुल्क की नीति अगर भारत के पक्ष में रही तो निर्यात बढ़ने से मैन्यूफैक्चरिंग में बढ़ोतरी होगी और रोजगार भी बढ़ेगा।
इन सेवाओं में करना होगा फोकस
आरआईएस का मानना है कि अमेरिका की संभावित नीति को देखते हुए आईटी सेक्टर के अलावा अन्य प्रोफेशनल्स सेवाओं एवं मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (एमआरओ) सेवाओं पर फोकस करना चाहिए, क्योंकि सर्विस डिलिवरी का मॉडल तेजी से बदल रहा है। वैसे भी मिल रहे संकेतों के मुताबिक अमेरिका एच1बी वीजा को लेकर भी अपनी नीति बदल सकता है।
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ट्रंप की चाल का बाजार पर होगा असर
दूसरी तरफ शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि 20 जनवरी के बाद अस्थिरता के बादल हटने पर ही बाजार का रुख स्पष्ट होगा। ट्रंप की नीति से अगर भारत को फायदा होता दिखा तो निश्चित रूप से शेयर बाजार में मजबूती आएगी। भारत के पक्ष में नीति रही तो चीन में मैन्यूफैक्चरिंग करने वाली कई विदेशी कंपनियां भी भारत का रुख कर सकती है। डॉलर को मजबूत करने के लिए ट्रंप ने कोई प्रभावी कदम उठाया तो इससे बाजार के साथ सोने के वैश्विक भाव पर भी असर दिखेगा।

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