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    मॉस्को और बीजिंग को मिनटों में कर सकती है तबाह, मिनटमैन-3 को क्यों कहा जाता है 'डूम्स डे मिसाइल'?

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 04:37 PM (IST)

    अमेरिका ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल मिनटमैन-3 का परीक्षण किया है, जिसे 'डूम्स डे मिसाइल' भी कहा जाता है। यह मिसाइल रूस के मॉस्को और चीन के बीजिंग पर मिनटों में हमला करने में सक्षम है। विशेषज्ञों के अनुसार, अन्य देश भी परमाणु परीक्षण कर सकते हैं, जिससे परमाणु संधि टूट सकती है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी परमाणु परीक्षण की तैयारी के आदेश दिए हैं।

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    अमेरिका की मिनटमैन-3 को क्यों कहा जाता है कयामत के दिन वाली मिसाइल?

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के परमाणु हथियार परीक्षण फिर से शुरू करने की घोषणा के बाद अमेरिका ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) मिनटमैन-3 का परीक्षण किया है। इस तरह से यूएस 2024 के बाद से आईसीबीएम का परीक्षण करने वाला पांचवां देश बन गया है।

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    मिनटमैन-3 को डूम्स डे मिसाइल यानि कयामत के दिन या प्रलय वाले दिन की मिसाइल भी कहा जाता है। साथ ही इसे सिटी किलर के नाम से भी जाना जाता है। रूस के मॉस्को और चीन के बीजिंग पर ये मिनटों में हमला करने में सक्षम है। इस मिसाइल को एयर फोर्स ग्लोबल स्ट्राइक कमांड ने 5 नवंबर, 2025 को लॉन्च किया।

    क्या है मिनटमैन-3 मिसाइल?

    5500 किमी. या उससे ज्यादा दूरी तक टारगेट को भेदने में सक्षम आईसीबीएम सिस्टम के मिसाइल को 1970 के दशक में पहली बार तैनात किया गया था। यह अमेरिका की न्यूक्लियर ट्रायड (त्रि-स्तरीय परमाणु प्रतिरोधक प्रणाली) का जमीनी हिस्सा है। इनमें पहली जमीन से दागी जाने वाली, दूसरी पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली और तीसरी एयरक्राफ्ट से छोड़े जाने वाली मिसाइलें शामिल हैं। यह एक बार में कई निशाने भेद सकती है।

    Minuteman 3 Gfx

    क्या यह मिसाइल सिर्फ युद्ध में इस्तेमाल के लिए है?

    अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की अगर मानें तो यह एक प्रितरोधक हथियार है। इसका लक्ष्य परमाणु हमले को रोकना है और हमले में इस्तेमाल नहीं होगा। इस तरह की मिसाइलें रूस, चीन, भारत और उत्तर कोरिया के पास ही हैं।

    क्या दुनिया न्यूक्लियर टेस्ट की ओर बढ़ रही है?

    एक्सपर्ट्स की मानें तो रूस, चीन और उत्तर कोरिया भी इस तरह का मिसाइल टेस्ट कर सकते हैं और 1996 की परमाणु संधि टूट सकती है। भारतीय रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि एशिया-प्रशांत में रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अब अधिकारियों को परमाणु परीक्षण की तैयारी के आदेश दे दिए हैं।

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