सुप्रीम कोर्ट से पूजा खेडकर को बड़ी राहत, 17 मार्च तक नहीं हो सकेगी गिरफ्तारी; 3 हफ्ते में दाखिल करना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 13 मार्च तक रोक लगा दी है। वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान पूजा खेडकर को जांच में सहयोग देने का निर्देश दिया है। पूजा के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पुलिस बुला नहीं रही है। वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। ट्रेनी आईएएस रही पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पूजा को अब 17 मार्च तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से सुरक्षा की समय सीमा को बढ़ा दिया है।
हालांकि जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने को कहा है। इस बीच अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा। इसके बाद अदालत ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।
पूजा खेडकर के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पुलिस उन्हें जांच के लिए नहीं बुला रही है। वह आने को तैयार हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी को पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी किया था।
खेडकर पर आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2022 के अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। हालांकि पूजा ने सभी आरोपों का खंडन किया।
हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी अग्रिम जमानत याचिका
हाई कोर्ट पूजा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर चुका है। इस दौरान उच्च न्यायालय ने खेडकर के खिलाफ एक मजबूत प्रथम दृष्टया मामला पाया। अदालत ने कहा कि सिस्टम में हेरफेर करने की बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए जांच जरूरी है। इसमें राहत देने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण रद्द किया जाता है।
कोर्ट से मिली गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण
12 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया। इस दौरान पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया। इतना ही नहीं समय समय पर इसे बढ़ाया भी गया। हाईकोर्ट ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है। यह मामला संवैधानिक संस्था और समाज के साथ धोखाधड़ी का है। हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील और यूपीएससी ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया।
हिरासत में पूछताछ जरूरी: यूपीएससी
हाई कोर्ट में पूजा खेडकर के वकील ने तर्क दिया कि वह जांच में शामिल होने और सहयोग करने को तैयार थीं। सभी सामग्री दस्तावेज के रूप में हैं। इसलिए उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है। यूपीएससी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि खेडकर ने उसके और जनता के साथ धोखाधड़ी की है। मामले की व्यापकता का पता लगाने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी थी। दिल्ली पुलिस ने भी हाई कोर्ट में पूजा की याचिका का विरोध किया था। उसने कहा था कि इसमें संलिप्त दूसरे लोगों का पता लगाने की खातिर हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
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