क्या है UPI में पुल ट्रांजैक्शन, जिसे बंद करने की तैयारी; आप पर क्या होगा असर?
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम अब डिजिटल फ्रॉड को रोकने में जुट गया है। निगम का मानना है कि ज्यादातर फ्रॉड को पुल ट्रांजैक्शन के माध्यम से अंजाम दिया जाता है। यही वजह है कि अब इस सुविधा को ही बंद करने पर विचार चल रहा है। कई बैंकों के साथ एनपीसीआई की बातचीत जारी है। हालांकि बैंकों को डर सता रहा है कि इससे वास्तविक यूपीआई लेनदेन पर असर पड़ेगा।
आईएएनएस, मुंबई। डिजिटल फ्रॉड के मामलों में कमी लाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई पर 'पुल ट्रांजैक्शन' खत्म करने पर विचार कर रहा है। इसके लिए एनपीसीआई और बैंकों के बीच प्रारंभिक स्तर की बातचीत चल रही है। अधिकांश डिजिटल फ्रॉड पुल ट्रांजैक्शन विधि के जरिये हो रहे हैं और एनपीसीआई इनमें कमी लाने के लिए इस सुविधा को पूरी तरह से हटाने की संभावना तलाश रहा है।
बैंकों को क्या सता रहा डर?
एक रिपोर्ट के अनुसार, पुल ट्रांजैक्शन को खत्म करने से डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में कमी आ सकती है। लेकिन कुछ बैंकर्स को इस बात का डर है कि इससे वास्तविक लेनदेन प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही यूपीआई भुगतान दक्षता में कमी आने की संभावना है। हालांकि, एनपीसीआई ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एनपीसीआई ही देश में ऑनलाइन खुदरा लेनदेन और निपटान प्रणाली का संचालन करता है।
अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी इसको लेकर विचार-विमर्श प्रारंभिक स्तर पर है और इसको लागू करने पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। यह विचार-विमर्श ऐसे समय में हो रहा है, जब देश में यूपीआई लेनदेन काफी प्रसिद्ध हो रहा है। अकेले फरवरी में यूपीआई के जरिये कुल 16 अरब लेनदेन हुए हैं और इनमें 21 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का आदान-प्रदान हुआ है।
साइबर फ्रॉड भी बढ़ रहा
डिजिटल लेनदेन की संख्या में वृद्धि के साथ ही देश में साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं। धोखेबाज लोगों से ठगी करने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे वित्तीय नुकसान के साथ मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।
क्या होता है पुल ट्रांजेक्शन?
जब कोई व्यापारी अपने ग्राहकों को भुगतान का अनुरोध भेजता है तो उसे पुल ट्रांजैक्शन कहा जाता है। इस माध्यम में भुगतान की जाने वाली राशि पहले से ही शामिल होती है। ग्राहक को केवल अपने यूपीआई एप पर अपना पिन नंबर दाखिल करना होता है। जब कोई ग्राहक सीधे क्यूआर कोड या अन्य तरीकों से भुगतान करता है तो उसे पुश ट्रांजैक्शन कहा जाता है। ऐसे ट्रांजैक्शन में ग्राहक खुद ही अपने यूपीआई एप में भुगतान की जाने वाली राशि भरता है।
आरबीआई को मिलीं 27 हजार से अधिक शिकायतें
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के दौरान आरबीआई के लोकपाल को कुल 27 हजार से अधिक शिकायतें मिली हैं। इसमें अप्रैल-जून 2024 में 14,401 और जुलाई-सितंबर 2024 के दौरान 12,744 शिकायतें मिली हैं।
आरबीआई की ओर से दिसंबर 2024 में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, पहली छमाही में कुल शिकायतों में से 70 प्रतिशत से अधिक शिकायतें लोन और डिजिटल माध्यम से किए गए भुगतान से जुड़ी थीं। आरबीआई ने हाल ही में ऐसे मामलों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता पहल के महत्व पर जोर दिया है।
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