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    शपथ पत्र को लेकर सवालों के घेरे में यूपी विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश, आचारी ने बताया नियमों के खिलाफ

    By NILOO RANJAN KUMAREdited By: Garima Singh
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 08:23 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों को शपथ पत्र देने के निर्देश पर सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने इसे संसदीय नियमो ...और पढ़ें

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    विधायकों के लिए शपथ पत्र अनिवार्य करने पर विवाद

    नीलू रंजन, नई दिल्ली। आरोप लगाने के पहले विधायकों द्वारा शपथ पत्र देने को अनिवार्य करने का उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष का निर्देश सवालों के घेरे में आ गया है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने संसदीय नियमों और परंपराओं के खिलाफ बताया है।

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    आचारी ने साफ किया है कि विधानसभाओं या संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए अध्यक्ष को निर्देश देने की शक्ति है, लेकिन यह संसदीय नियमों और परंपराओं के खिलाफ नहीं होना चाहिए।

    विधायकों के लिए शपथ पत्र अनिवार्य करने पर विवाद

    दरअसल मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर सदन में गलत जानकारी देने और गलत आरोप लगाने के आरोपों के बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी 403 सदस्यों के लिए शपथ पत्र देने का निर्देश जारी कर दिया था।

    महाना ने साफ किया था कि 'आरोप लगाने से पहले शपथ पत्र मेरे टेबल पर भेज दें। यह सदन के सभी 403 सदस्यों पर लागू होगा। यह प्रश्न पूछने वाले और सरकार के ऊपर भी लागू होगा। कोई भी सदस्य प्रश्न पूछे तो या तो उसे प्रमाणित करेगा, तभी पूछा जाना चाहिए।'

    पीडीटी आचारी ने बताया संसदीय नियमों के खिलाफ

    अब महाना के इस निर्देश पर संसदीय कार्यप्रणाली के विशेषज्ञ सवालिया निशान लगा रहे हैं। पीडीटी आचारी के अनुसार संसदीय कार्यप्रणाली में स्पष्ट नियम है कि सदन के भीतर किसी भी तरह के आरोप लगाने पर उसे सत्यापित करना पड़ता है और ऐसा नहीं करने पर उन आरोपों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाता है।

    इसके अलावा सदन के भीतर किसी ऐसे व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं, जो वहां मौजूद नहीं हो। आचारी ने कहा कि शपथ पत्र अदालती कार्यवाही का हिस्सा है, जहां उसके गलत पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई और सजा का भी प्रविधान है। लेकिन संसदीय कार्यप्रणाली में सदस्यों द्वारा व्यक्त विचारों पर किसी भी तरह की कानूनी नहीं हो सकती।

    आरोप सत्यापित न होने पर कार्यवाही से निकालने का नियम

    जाहिर है कि सदन के भीतर रखे गए तथ्यों के लिए शपथ पत्र नहीं मांगा जा सकता है। आचारी ने कहा कि अध्यक्ष या सभापति सिर्फ उन्हीं ¨बदुओं पर अपनी निर्देश दे सकता है, जिनके बारे में संसदीय नियमों और परंपराओं में स्पष्ट उल्लेख नहीं है। लेकिन सदस्यों द्वारा सवाल पूछे जाने और आरोप लगाने के नियम और परंपरा बिल्कुल स्पष्ट है, जिन्हें अध्यक्ष या सभापति के निर्देश पर बदला नहीं जा सकता है।