'क्षेत्रीय राजनीति को दे सकता है नया आकार', यूनाइटेड नॉर्थईस्ट गठबंधन पर बोले टिपरा मोथा प्रमुख
नॉर्थ-ईस्ट के दलों ने 'वन नॉर्थ ईस्ट' गठबंधन बनाया है। टिपरा मोथा के चीफ प्रद्योत देबबर्मा ने कहा कि इससे क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति को नया आकार मिल सकता है। उन्होंने एनपीपी से गठजोड़ को खारिज किया और साझा मंच बनाने की बात कही। देबबर्मा ने कहा कि एकजुट होकर आवाज उठाने से दिल्ली को भी उनकी बात सुननी होगी और आदिवासी समुदायों की समस्याओं का समाधान होगा।

देबबर्मा ने यह भी घोषणा की कि गुरुवार को अगरतला में एक बड़ी रैली होगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नॉर्थ-ईस्ट की कई पार्टियों ने एक महीने से भी कम समय में ऐलान किया था कि वे 'वन नॉर्थ ईस्ट' राजनीतिक गठबंधन बनाएंगे ताकि पूरा इलाका एक आवाज में बात कर सके। टिपरा मोथा पार्टी के चीफ प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने शनिवार को कहा कि इस गठबंधन ने काफी तरक्की की है और यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय राजनीति को नया आकार दे सकता है।
त्रिपुरा में भाजपा की गठबंधन साथी देबबर्मा कहा कि हाल ही में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा के नेताओं की सफल मीटिंग के बाद इस प्लेटफॉर्म को रफ्तार मिली है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि गुरुवार को अगरतला के विवेकानंद मैदान में एक बड़ी रैली होगी, जिसमें मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा समेत कई क्षेत्रीय नेता शामिल होंगे।
टिपरा मोथा के एनपीपी से गठजोड़ को प्रद्योत ने किया खारिज
उन्होंने कहा, "हम नॉर्थ-ईस्ट के लिए एक नया आइडिया बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जो पूरे इलाके के लिए एक ही नजरिए से बात करेगा।" प्रद्योत ने टिपरा मोथा के संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ गठजोड़ की बात को खारिज करते हुए साफ किया कि इसका मकसद अपनी पहचान को छोड़े बिना एक साझा प्लेटफॉर्म बनाना है।
उन्होंने कहा, "हमारा मकसद एक नई पहचान बनाना है - जो तब बने जब अलग-अलग संगठन एक साथ आएं और एक कलेक्टिव आइडिया को आकार दें। यह किसी एक पार्टी में मर्ज होने या अपनी पहचान खोने के बारे में नहीं है। हम मिलकर काम करने और एक आवाज में बोलने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। कोई किसी की पहचान मिटाने की कोशिश नहीं कर रहा है। इसके बजाय, हम एक-दूसरे को मजबूत करना चाहते हैं ताकि हम एक साझा मंचों पर खड़े हो सकें और एक होकर बोल सकें।"
'लोगों की समस्याएं सुलझाना जरूरी'
टिपरा मोथा के प्रमुख ने कहा कि मिलकर काम करने की प्रक्रिया में एक नई आम पहचान, विचारधारा, नीति, नाम और झंडे पर भी चर्चा होती है और कहा कि लोगों के मुद्दों को राजनीतिक स्तर से ज्यादा प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, "लोगों की समस्याएं साइनबोर्ड से ज्यादा जरूरी हैं।"
देबबर्मा ने कहा कि एकजुट रुख अपनाने से नई दिल्ली आदिवासी समुदायों की चिंताओं पर ज्यादा ध्यान देगी। उन्होंने कहा, "दिल्ली के पास अलग-अलग राज्यों के दस लोगों से मिलने का समय नहीं है जो एक ही बात कह रहे हैं। अगर हम सबके लिए एक आवाज में बोलेंगे तो दिल्ली को भी हमारी बात सुननी होगी।" उन्होंने यह भी कहा कि पूरे इलाके के नेता जमीन के अधिकार और ILP (इनर लाइन परमिट) जैसी आम मांगें बार-बार उठा रहे हैं, लेकिन अलग-अलग।

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