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    PM E Bus Sewa: शर्तों के साथ राज्यों को मिलेंगी पीएम ई बसें, निजी ऑपरेटरों पर अंकुश लगाने के करने होंगे प्रबंध

    By AgencyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Sat, 02 Sep 2023 07:40 PM (IST)

    PM E Bus Sewa शहरों में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार पीएम ई बस सेवा योजना के तहत राज्यों को कड़ी शर्तों के साथ बसें उपलब्ध कराएगी। उद्देश्य यह है कि ये बसें बदलाव और सुधार के वाहन बनें न कि उनका हाल जेएनयूआरएम जैसी योजना में की गई विफल कोशिश जैसा हो जाए।

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    पीएम ई बस सेवा को लेकर राज्यों को कई नियम मानने होंगे।

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। शहरों में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार पीएम ई बस सेवा योजना के तहत राज्यों को कड़ी शर्तों के साथ बसें उपलब्ध कराएगी। उद्देश्य यह है कि ये बसें बदलाव और सुधार के वाहन बनें, न कि उनका हाल जेएनयूआरएम जैसी योजना में की गई विफल कोशिश जैसा हो जाए।

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    पीएम ई बस को लेकर दिशा-निर्देश जारी 

    169 शहरों में लागू की जा रही प्रधानमंत्री ई बस सेवा योजना से संबंधित जो दिशा-निर्देश केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जारी किया है, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शहरों को बसों के संचालन वाले रूट के रखरखाव के लिए संबंधित विभाग के साथ एमओयू करना होगा और वे उस रूट पर बसों का संचालन करने वाले निजी ऑपरेटरों पर लगाम लगाने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों के साथ भी समझौता करेंगे।

    निजी ऑपरेटरों पर लगाम लगाने के करने होंगे इंतजाम

    किसी भी शहर में सरकारी बसों के संचालन में यह सबसे बड़ी समस्या आती है कि निजी ऑपरेटर सरकारी तंत्र की मिलीभगत से मनमानी करते हैं। अपनी तरह की इस पहली योजना में केंद्र सरकार 169 शहरों को 20 हजार करोड़ रुपये की सहायता बसों की खरीद तथा उनके संचालन के लिए देने जा रही है।

    पीएम ई बस योजना पर कितने रुपये होंगे खर्च?

    वैसे इस पूरी योजना में 57 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाएंगे, जिसमें एक बड़ा हिस्सा शहरों में बस डिपो जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भी खर्च किया जाएगा। पहले चरण में 10 हजार बसें शहरी स्थानीय निकायों को संचालन के लिए दी जाएंगी। योजना की सामान्य शर्तों में यह भी शामिल है कि प्रोजेक्ट के तहत दिए जाने वाले पैसे का थर्ड पार्टी ऑडिट अनिवार्य होगा, ताकि पूरी पारदर्शिता रहे।

    तीन महीने पर होगा हिसाब-किताब

    शहरों को हर तीन महीने में बसों के संचालन का हिसाब-किताब देना होगा। योजना के तहत तीन तरह की बसें-स्टैंडर्ड, मीडियम और मिनी चलाई जाएंगी। शहरों को आबादी के लिहाज से चार श्रेणियों में बांटा गया है। 20 से 40 लाख तक की आबादी वाले शहरों को 150, 10 से 20 लाख तथा पांच से 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों को सौ-सौ तथा पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों को 50 ई बसें मिलेंगी।

    योजना के दस्तावेज के मुताबिक, केंद्रीय सहायता सुनिश्चित किलोमीटर संचालन के लिहाज से दी जाएगी और अगर बसें इससे कम किलोमीटर चलती हैं तो केंद्रीय सहायता उसी के अनुपात में कम हो जाएगी। केंद्र सरकार केवल पहली तिमाही के लिए धनराशि एडवांस में देगी और इसके बाद शहरों के प्रदर्शन के आधार पर पैसा दिया जाएगा।

    सरकार ने क्यों लाई पीएम ई बस योजना?

    यह योजना राज्यों को मिलने वाली केंद्रीय मदद को पारदर्शिता और उनके प्रदर्शन से जोड़ने की केंद्र की कोशिश का हिस्सा है। केंद्र का नजरिया है कि यह योजना शहरों में मेट्रो के विकल्प या उसके सहयोगी साधन के रूप में विकसित हो ताकि लोगों को किफायती, भरोसेमंद और सुगम परिवहन की सुविधा मिले।

    इस योजना के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह पहल शहरी परिवहन को नए सिरे से परिभाषित करेगी। इसमें उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां शहरी परिवहन का संगठित ढांचा नहीं है। केंद्र सरकार इसे रोजगार सृजन के प्रमुख माध्यम के रूप में भी देख रही है। शहरी कार्य मंत्रालय के अनुमान इस योजना के जरिये सीधे तौर पर 45,000 नए रोजगार सृजित होंगे।