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    94 करोड़ के घोटाले में फंसे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी, हेराफेरी करने के चलते 6 के खिलाफ केस दर्ज

    Updated: Thu, 30 May 2024 02:19 PM (IST)

    कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के लगभग 94.73 करोड़ रुपये को धोखाधड़ी से विभिन्न अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। इसके तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के छह अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारियों ने इसको लेकर जानकारी दी है। यह कार्रवाई रविवार को निगम के एक अधिकारी के आत्महत्या करने के बाद हुई है।

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    (file photo) 94 करोड़ के घोटाले में फंसे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी

    पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के लगभग 94.73 करोड़ रुपये को धोखाधड़ी से विभिन्न अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। इसके तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के छह अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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    पुलिस अधिकारियों ने इसको लेकर जानकारी दी है। यह कार्रवाई रविवार को निगम के एक अधिकारी के आत्महत्या करने के बाद हुई है। मरने से पहले अधिकारी ने एक नोट छोड़ा था जिसमें उन्होंने प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ,लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरुगन्नावर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल का नाम लिया था।

    बता दें कि 28 मई को दायर शिकायत में,निगम के महाप्रबंधक ए राजशेखर ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया,एमजी रोड शाखा के प्रबंधन और अन्य तीसरे पक्षों पर गंभीर धोखाधड़ी गतिविधियों का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 19 फरवरी को कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने अपना खाता वसंतनगर शाखा से राष्ट्रीय बैंक की एमजी रोड शाखा में ट्रांसफर कर दिया।

    187.33 करोड़ रुपये का है घोटाला

    महाप्रबंधक ए राजशेखर ने कहा,'विभिन्न बैंकों और राज्य हुजूर ट्रेजरी खजाने-II से कुल 187.33 करोड़ रुपये यूनियन बैंक ऑफ इंडिया,एमजी रोड शाखा में हमारे बचत बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे।' आचार संहिता का हवाला देकर निगम ने बैंक से बातचीत नहीं की। उन्होंने शिकायत में कहा,नतीजतन, बैंक हमारे रजिस्टर्ड पते पर नई पासबुक और चेकबुक भेजने में विफल रहा।

    जब अधिकारी 21 मई को दस्तावेज़ लेने के लिए ब्रांच में गए तो शाखा अधिकारी ने उन्हें मना कर दिया। इसके बाद अधिकारी 22 मई को निगम कार्यालय गए और उन्हें कहा गया कि दस्तावेज़ पहले ही जारी किए जा चुके थे, ये बात बिल्कुल गलत थी। पासबुक के वेरिफिकेशन के बाद,यह पाया गया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राष्ट्रीय बैंक की तरफ से खाते से 94.73 करोड़ रुपये निकाले गए थे।

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