संयुक्त राष्ट्र के लिए आज का दिन है बेहद खास, भारत ने ही उठाई इसमें सुधार को लेकर आवाज
संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका किसी से छिपी नहीं रही है भारत इसमें सुधार की भी आवाज लगातार उठाता रहा है। 1945 में आज के ही दिन इसके चार्टर को अपनाया गया था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना यूं तो 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी, लेकिन 26 जून 1945 को इसके घोषणा पत्र को सदस्य देशों के हस्ताक्षर के बाद स्वीकार किया गया था। इस घोषणा पत्र पर सेन फ्रांसिस्को में 50 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद पौलेंड ने इस पर साइन किए और वो इस अंतरराष्ट्रीय संगठन का 51वां सदस्य बना था। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र का नाम अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान दिया था। इसका पहली बार उपयोग 1 जनवरी 1942 को किया गया था।
आपको बता दें कि विश्व कल्याण और पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द बनाने के मकसद से गठित इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के आज 193 सदस्य देश हैं। ये संगठन अपनी कई दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है जिसमें , विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, यूनेस्को, यूएनएचआरसी समेत 35 एजेंसियां शामिल हैं। ये सभी यूएन के अंतर्गत ही आती है। द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय संघर्ष और विवादों में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। इनका मकसद था कि विश्व फिर दोबारा विश्वयुद्ध की आग में जल सके। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देशों में अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे। ये इसकी संरचना का एक अहम हिस्सा भी है। इसके अलावा इसकी संरचना में आम सभा, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय शामिल है।
इसकी छह आधिकारिक भाषाओं में अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ़्रांसीसी, रूसी और स्पेनिश भाषा शामिल है। भारत भी हिंदी को इसकी आधिकारिक भाषा बनाने का काफी समय से कोशिश कर रहा है। इसकी आम सभा में सबसे पहले हिंदी की गूंज 80 के दशक में उस वक्त सुनाई दी थी जब 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसके 32वें सत्र को संबोधित किया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1978, 1999, 2002 और 2003 में भी इसके सत्र को संबोधित किया था। आपको बता दें कि भारत ने ही संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लेकर सबसे पहले आवाज उठाने शुरू की थी। भारत का कहना है कि जब इसकी स्थापना हुई थी तब से लेकर आज में परिस्थितियां काफी हद तक बदल चुकी हैं। ऐसे में इसमें अब सुधार की गुंजाइश काफी बढ़ गई है। अब इसको वर्तमान चुनौतियों के हिसाब से ढालना जरूरी है, नहीं तो ये अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकेगा।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में सबसे बड़ा योगदान भारत ही देता है। संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले ये शांति सेना उन देशों में शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है जहां आतंक का साया छाया हुआ है। वर्तमान में भी जब पूरी दुनिया जानलेवा कोरोना वायरस की चपेट में है तब संयुक्त राष्ट्र ने इस शांति सेना में शामिल भारतीय जवानों की प्रशंसा कई बार की है। इन जवानों ने अफ्रीकी देशों में कई तरह की मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाया है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र अपने कार्यक्रमों का संयुक्त राष्ट्र रेडियो वेबसाईट पर हिंदी भाषा में भी प्रसारण करता है। कई अवसरों पर भारतीय नेताओं ने यूएन में हिंदी में भाषण दिए हैं जिन्हें यहां पर सुना जा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा इसमें सितंबर, 2014 में 69वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण, सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास शिखर सम्मेलन में उनका संबोधन, अक्तूबर, 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा 70वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा को भाषण और सितंबर, 2016 में 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा को विदेश मंत्री द्वारा दिया गया भाषण भी शामिल है।
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