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    जिनेवा में भारत के स्थायी दूतावास से 2 करोड़ रुपये की हेराफेरी, CBI ने शुरू की जांच

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 07:00 AM (IST)

    सीबीआई ने जिनेवा स्थित भारतीय स्थायी दूतावास में दो करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की जांच शुरू की है। पूर्व लेखा अधिकारी मोहित पर क्रिप्टो-जुआ उद्यम ...और पढ़ें

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    हेराफेरी के मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीबीआई ने जिनेवा स्थित भारतीय स्थायी दूतावास में तैनात एक पूर्व लेखा अधिकारी मोहित द्वारा दो लाख स्विस फ्रैंक (लगभग दो करोड़ रुपये) से अधिक की धोखाधड़ी की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कथित तौर पर इस राशि का इस्तेमाल अपने क्रिप्टो-जुआ उद्यमों को वित्तपोषित करने के लिए किया था।

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    अधिकारियों ने बताया कि मोहित ने 17 दिसंबर, 2024 को सहायक अनुभाग अधिकारी के रूप में जिनेवा में स्थायी मिशन में कार्यभार संभाला था। उनको यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस) को भुगतान निर्देश भौतिक रूप से प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जहां मिशन के खाते अमेरिकी डालर (यूएसडी) और स्विस फ्रैंक (सीएचएफ) में रखे जाते हैं। यह गड़बड़ी सीएचएफ खाते में पाई गई।

    सीएचएफ में कैसे हुआ भुगतान?

    मिशन ने स्विस वेंडरों को उनके इनवॉइस के आधार पर सीएचएफ में भुगतान किया, जिन पर वेंडर के बैंक और इनवॉइस विवरण वाले पूर्व-मुद्रित क्यूआर कोड थे। क्यूआर कोड की भौतिक प्रति के साथ ही दूतावास के एक विशेष अधिकारी और डीडीओ तुषार लकरा द्वारा हस्ताक्षरित भुगतान निर्देश पर्चियां, आवश्यक भुगतान करने के लिए यूबीएस को जमा की जाती हैं।

    किस बात का है शक?

    मोहित को क्यूआर कोड और भुगतान निर्देश पर्चियों को स्वयं यूबीएस ले जाने का दायित्व सौंपा गया था। उन्हें दूतावास प्रमुख अमित कुमार के साथ खातों की जानकारी देखने का अधिकार भी प्राप्त था। ऐसा संदेह है कि मोहित ने गुपचुप तरीके से कुछ वेंडरों के क्यूआर कोड को स्वयं द्वारा बनाए गए क्यूआर कोड से बदल दिया, जिससे भुगतान वेंडर के खाते के बजाय यूबीएस में उनके व्यक्तिगत सीएचएफ खाते में स्थानांतरित हो गया।

    इस तरकीब का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कथित तौर पर इस साल दो लाख सीएचएफ (दो करोड़ रुपये से अधिक) की रकम अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर दी, जो यूबीएस में स्थित है। इस प्रक्रिया में क्यूआर कोड से जुड़ी पहले से छपी रसीदों को छुआ तक नहीं गया। मोहित ने मासिक बैंक स्टेटमेंट में अपना नाम बदलकर इच्छित वेंडर का नाम लिखकर फंड के डायवर्जन को छिपाने में कामयाबी हासिल की।

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