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    तुलसी गबार्ड ने बताया अमेरिका फर्स्ट का मतलब, ट्रंप की नीतियों से खफा देशों को मनाने की कोशिश; भारत के बारे में क्या कहा?

    Updated: Tue, 18 Mar 2025 08:50 PM (IST)

    अमेरिका की शीर्ष खुफिया एजेंसी नेशनल इंटेलीजेंस की निदेशक तुलसी गबार्ड ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ना सिर्फ कारोबारी प्रतिबंधों की वजह से भारत के साथ रिश्तों में आई असहजता को दूर करने की कोशिश की है बल्कि नई दिल्ली से उन्होंने ट्रंप प्रशासन की नीतियों से बिदक रहे पुराने मित्र राष्ट्रों को भी मित्रता का संदेश भेजा है।

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    पीएम मोदी और तुलसी गबार्ड। ( फोटो- एएनआई )

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका की शीर्ष खुफिया एजेंसी नेशनल इंटेलीजेंस की निदेशक तुलसी गबार्ड ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ना सिर्फ कारोबारी प्रतिबंधों की वजह से भारत के साथ रिश्तों में आई असहजता को दूर करने की कोशिश की है बल्कि नई दिल्ली से उन्होंने ट्रंप प्रशासन की नीतियों से बिदक रहे पुराने मित्र राष्ट्रों को भी मित्रता का संदेश भेजा है।

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    गबार्ड ने समझाया अमेरिका फर्स्ट की नीति

    विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित रायसीना डायलॉग के एक सत्र को संबोधित करते हुए गबार्ड ने कहा अमेरिका भारत के साथ एक बेहद मजबूत सुरक्षा साझेदारी स्थापित करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के संबंध पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में और प्रगाढ़ होंगे ।इस सत्र को आगे संबोधित करते हुए गबार्ड ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की 'अमेरिका फ‌र्स्ट' नीति का मतलब 'अमेरिका अलोन' नही है।

    इंडिया फर्स्ट की नीति से की तुलना

    उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिका फ‌र्स्ट की नीति को पीएम मोदी की इंडिया फ‌र्स्ट की नीति से तुलना की और कहा कि, “जिस तरह से राष्ट्रपति ट्रंप अपने फैसलों में अमेरिकी नागिरकों की रक्षा, सुरक्षा व आजादी को वरीयता दे रहे हैं, उसी तरह से पीएम नरेन्द्र मोदी इंडिया फ‌र्स्ट को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हर नेता से यहीं उम्मीद होती है कि वह अपने फैसलों में अपने लोगों के हितों को सबसे पहले रखे। इस नीति को गलत समझा जा रहा है। अमेरिका पहले की नीति का मतलब यह नहीं है कि अकेला अमेरिका।''

    ट्रंप दूसरे देशों की अहमियत को समझते

    बाद में उन्होंने कहा कि, “राष्ट्रपति ट्रंप की उक्त नीति का यह मतलब नहीं है कि वह दूसरे देशों के साथ साझेदारी की अहमियत को नहीं समझते व उनके साथ साझा हितों पर काम करना संभव नहीं है। यह सही सोच नहीं है।'' माना जा रहा है कि गबार्ड ने यह बयान उन्होंने उन राष्ट्रों को संबोधित करके दिया है जो राष्ट्रपति ट्रंप की आर्थिक और वैश्विक नीतियों को लेकर नाराज हैं।

    यूरोपीय देशों को मनाने की कोशिश

    फरवरी, 2025 में अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वांस ने म्यूनिख सिक्योरिटी सम्मेलन में एक बयान दे कर अपने परंपरागत यूरोपीय मित्र देशों को नाराज किया था और अब रायसीना डायलॉग के मंच से इन देशों को मनाने की कोशिश की गई है। भारत व अमेरिका के रिश्तों के भविष्य को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में गबार्ड ने कहा कि, “दोनों देशों के रिश्तों में लगातार मजबूती होते हम देख रहे हैं।

    पिछले दिनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात के बाद इस रफ्तार को बनाये रखने को प्रतिबद्धता दिखाई गई है। दोनों एक दूसरे के बहुत ही अच्छे मित्र हैं। हमारे समक्ष विकास करने और निवेश करने को लेकर काफी अपार संभावनाएं हैं। साइबर सुरक्षा और नई प्रौद्योगिकी की तरफ से जो चुनौतियां पैदा हो रही हैं, उसको लेकर हम सहयोग कर रहे हैं।''

    गबार्ड ने शीर्ष नेताओं से की मुलाकात

    इस क्रम में गबार्ड ने पिछले दो दिनों के दौरान भारत सरकार के शीर्ष स्तर के नेताओं व अधिकारियों से हुई मुलाकात का जिक्र किया कि कैसे दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान करने की मौजूदा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने जा रहे हैं।

    सनद रहे कि गबार्ड ट्रंप प्रशासन के इस कार्यकाल की भारत की यात्रा करने वाली पहली वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी हैं। पिछले दो दिनों में वह पीएम नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अलग अलग मुलाकात कर चुकी हैं। तुलसी गबार्ड हिंदू धर्म को मानती हैं। मंगलवार को रायसीना डायलॉग में अपने भाषण की शुरुआत व समापन उन्होंने जय श्री कृष्णा के साथ किया।

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