त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की देशभर में खुलेंगी शाखाएं, हर साल आठ लाख पेशेवर तैयार करने का लक्ष्य
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (टीएसयू) अब पूरे देश में विस्तार करेगा, जिसका लक्ष्य प्रति वर्ष आठ लाख सहकारी पेशेवर तैयार करना है। यह विश्वविद्यालय विभ ...और पढ़ें

प्रत्येक वर्ष सहकारी क्षेत्र के लिए कम से कम आठ लाख पेशेवर तैयार करने का लक्ष्य
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। सहकारी शिक्षा को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। देश का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय अब सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विभिन्न राज्यों में पात्र कालेजों को संबद्धता देगा। साथ ही बाहरी परिसरों के जरिए भी विस्तार करेगा। त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी (टीएसयू) का लक्ष्य प्रत्येक वर्ष सहकारी क्षेत्र के लिए कम से कम आठ लाख पेशेवर तैयार करना है।
सहकारिता मंत्रालय द्वारा ग्रामीण प्रबंधन आनंद संस्थान (आईआरएमए) को परिवर्तित कर गठित टीएसयू को चार अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया गया था। अधिसूचना जारी होते ही विश्वविद्यालय पूरी तरह कार्यशील हो गया। कुलपति समेत शीर्ष के सारे पदों पर नियुक्ति के साथ गवर्निंग बोर्ड और कार्यकारी परिषद का गठन कर लिया गया है। सहकारी क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए टीएसयू ने वर्तमान सत्र से ही तीन नए एमबीए कार्यक्रम शुरू किए हैं।
सहकारी शिक्षा के विस्तार के लिए दोहरी रणनीति
इनमें एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट, सहकारी प्रबंधन और सहकारी बैंकिंग एवं वित्त शामिल हैं। इनके जरिए सहकारी संस्थाओं के लिए प्रशिक्षित प्रबंधक, वित्त विशेषज्ञ और नेतृत्व क्षमता वाले पेशेवर तैयार किए जाएंगे। देश में सहकारी शिक्षा के विस्तार के लिए टीएसयू ने दोहरी रणनीति अपनाई है। योग्य शैक्षणिक संस्थानों को संबद्धता दी जाएगी, ताकि वे टीएसयू के पाठ्यक्रम और शैक्षणिक मानकों के तहत पढ़ाई करा सकें।
दूसरी ओर विश्वविद्यालय विभिन्न राज्यों में अपने परिसर स्थापित करेगा, जहां सीधे टीएसयू द्वारा शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध कार्य संचालित किए जाएंगे। टीएसयू ने अभी तक देश के सात संस्थानों को अस्थायी संबद्धता दी है। इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, चंडीगढ़, मणिपुर, गुजरात, बिहार और तमिलनाडु के सहकारी प्रबंधन से जुड़े संस्थान शामिल हैं। पुणे स्थित वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान को संस्थागत स्तर पर अस्थायी संबद्धता दी गई है, जबकि जयपुर, चंडीगढ़ और इंफाल के संस्थानों को पाठ्यक्रम स्तर पर संबद्धता मिली है।
22 से अधिक नए आवेदन भी विश्वविद्यालय के पास विचाराधीन
पटना स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट (आईसीएम) के अलावा गांधीनगर और मदुरै के संस्थान अंतिम स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा 22 से अधिक नए आवेदन भी विश्वविद्यालय के पास विचाराधीन हैं। विश्वविद्यालय के विस्तार को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 50 वर्षों की लीज पर भूमि आवंटित की है। पुणे के वैकुंठ मेहता संस्थान में 30 करोड़ रुपये की लागत से तीन मंजिला अंतरराष्ट्रीय छात्रावास का निर्माण किया गया है।
सहकारी शिक्षा को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए स्कूलों में भी पहल की जा रही है। एनसीईआरटी और एनसीसीटी के सहयोग से सहकारिता पर विशेष माड्यूल तैयार किया गया है। टीएसयू की यह विस्तार योजना सहकारी आंदोलन को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है। इससे न सिर्फ सहकारी संस्थाओं में पेशेवर सोच और आधुनिक प्रबंधन विकसित होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर भी पैदा होंगे।

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