ट्रंप से तीन महीने में दूसरी बार मिले शरीफ और मुनीर, भारत ने कहा- 'हमारी नजर है'
व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर का स्वागत किया। तीन महीनों में मुनीर की यह तीसरी अमेरिका यात्रा है। पीएम शरीफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने के लिए ट्रंप की भूमिका की तारीफ की। रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह रुख भारत के हितों को कमजोर कर सकता है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। दक्षिण एशिया में अमेरिका की कूटनीति कितनी बदल गई है, इसे समझने के लिए यह काफी है कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने पिछले तीन महीनों में दूसरी बार गुरुवार (25 सितंबर) को राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर का स्वागत किया। यह और बात है कि मुलाकात से पहले ट्रंप ने दोनों को एक घंटे तक इंतजार कराया। यह पिछले तीन महीनों में मुनीर की तीसरी अमेरिका यात्रा है।
जैसा कि पिछले तीन महीनों में देखा जा रहा है पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान सेना के प्रमुखों ने अपने अपने स्तरों पर राष्ट्रपति ट्रंप को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम शरीफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने के लिए ट्रंप के नेतृत्व व भूमिका की तारीफ की। राष्ट्रपति ट्रंप ने दोनों को महान नेता करार दिया है और पाक सरकार व पाक सेना ने राष्ट्रपति ट्रंप को पाकिस्तान का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
शहबाज ट्रंप की मुलाकात पर भारत ने क्या कहा?
भारत ने आधिकारिक तौर पर इस मुलाकात पर कोई खास टिप्पणी नहीं की है लेकिन अमेरिका व पाकिस्तान के बीच बढ़ रही इन गलबहियों पर सतर्कता के साथ पूरी नजर रखी जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, “दो देशों के नेताओं के बीच होने वाली मुलाकातों को उन्हीं देशों से पूछा जाना चाहिए लेकिन हम उन सभी बैठकों पर नजर रखते हैं जो हमारे हितों को प्रभावित करने से जुड़े होते हैं।''
यह मुलाकात तब हुई है जब भारत व अमेरिका के अधिकारियों के बीच शुल्क को लेकर जारी विवाद को सुलझाने की गंभीर कोशिश हो रही है। एक दिन पहले ही भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई है जिसे दोनों पक्षों ने काफी सकारात्मक करार दिया है। वैसे भारत के कूटनीतिक सर्किल में पाकिस्तान को ट्रंप प्रशासन की तरफ से दिये जा रहे तवज्जो को लेकर काफी चर्चा है।
रणनीतिक विश्लेषकों का क्या कहना है?
प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक डॉ. ब्रह्मा चेलानी ने कहा है कि, “सिर्फ तीन महीनों के भीतर अमेरिकी राष्ट्रपति की पाकिस्तान के पीएम और सेना प्रमुख स्वयंभू फील्ड मार्शल के साथ गुप्त बैठक अमेरिका में आये बड़े बदलाव की तरफ इशारा करता है। जब से राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों ने इस्लामाबाद में क्रिप्टो कारोबार का समझौता किया है तब से राष्ट्रपति ने भारत के हितों को बगैर किसी विरोध के कमजोर करने का सोच लिया है।'' डॉ. चेलानी का कहना है कि भारत को अमेरिका को लेकर और कठोर रवैया अख्तियार करना चाहिए।
देश के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा है कि, “भारत को अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को हथियारों की बिक्री और भारत-पाकिस्तान के बीच के मुद्दे में अमेरिकी हस्तक्षेप पर नजर रखनी चाहिए। वह पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस क्षेत्र में पाकिस्तान की जो भूमिका है, वह उसके लिए उसे पुरस्कृत कर रहे हैं।''
पाकिस्तान के बयान में कश्मीर का जिक्र नहीं
वैसे राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान वर्ष 2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान खान से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी लेकिन तब पाकिस्तान सेना का कोई भी प्रतिनिधि उनके साथ नहीं था। हालांकि इस बार मुलाकात के बाद पाकिस्तान सरकार ने जो बयान जारी किया है उसमें कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है।
कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने यह कहा है कि अमेरिका व पाकिस्तान के बीच इस नये समीकरण के पीछे ट्रंप के मित्रों को पाकिस्तान में कारोबारी हितों का होना है। शरीफ सरकार की तरफ से पाकिस्तान को क्रिप्टोकरेंसी कारोबार का एशिया का हब बनाने की घोषणा की गई है और इसमें ट्रंप के परिजनों के मित्र रूचि ले रहे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान ने अमेरिकी तेल कंपनियों को तेल खोजने व बेचने का लाइसेंस देने का वादा किया है। पाकिस्तान व अमेरिका में कारोबारी समझौता भी हो चुका है।
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