'जो होगा शामिल, उस पर लगेगा एक्ट्रा टैरिफ', BRICS पर फिर क्यों भड़के ट्रंप?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है कि सदस्यता लेने पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, क्योंकि वे अमेरिकी डॉलर को कमजोर कर रहे हैं। भारत ने ब्रिक्स की ऐसी किसी मंशा से इनकार किया है और शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहा है। कई देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है, जिससे संगठन का विस्तार हो रहा है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप। (फोटो- रॉयटर्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक तरफ भारत वर्ष 2026 में भव्य ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटा है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रपति ट्रंप इस संगठन को लेकर आपा खोये हुए हैं। एक बार फिर भारत, चीन, रूस और ब्राजील की तरफ से स्थापित इस संगठन को चेतावनी दी कि जो भी इसका सदस्य होगा उस पर ज्यादा शुल्क लगाया जाएगा।
ट्रंप ने एक बार फिर इस संगठन पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का आरोप लगाया है। जुलाई, 2025 में जब ब्राजील में इस संगठन का शिखर सम्मेलन हुआ था उसी दिन ट्रंप ने इस पर 10 फीसद का अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया था। इस संगठन के सदस्य रूस और ईरान के साथ अमेरिका के बेहद खराब रिश्ते हैं जबकि चीन, भारत और ब्राजील के खिलाफ सबसे ज्यादा शुल्क लगाया जा चुका है।
ब्रिक्स में शामिल होने वाले देशों को ट्रंप की चेतावनी
अमेरिका में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिली के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि,“अगर कोई ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है तो हो जाए, लेकिन हम उस देश पर ज्यादा शुल्क लगाएंगे।'' ट्रंप ने ब्रिक्स संगठन पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का आरोप लगाया।
ट्रंप और उनकी सरकार के कुछ अन्य वरिष्ठ मंत्री पहले भी लगाते रहे हैं कि ब्रिक्स संगठन में अलग करेंसी चलाने की कोशिश हो रही है। जबकि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक तौर पर यह बयान दिया है कि ब्रिक्स की ऐसी कोई मंशा नहीं है। ब्रिक्स के सदस्य देश आपसी मुद्रा में कारोबार करने को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से किसी एक मुद्रा में कारोबार करने को लेकर कोई नीति नहीं है।
ट्रंप का दावा- ब्रिक्स सदस्य देश संगठन छोड़कर भाग रहे
इसके साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा किया कि ब्रिक्स के सदस्य देश संगठन को छोड़ कर भाग रहे हैं। यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। वर्ष 2024 में ब्रिक्स ने मिस्त्र, इथीयोपिया, ईरान, सऊदी अरब, अर्जेंटीना और यूएई को पूर्ण सदस्य बनाने का फैसला किया गया था। इसमें से सऊदी अरब और अर्जेंटीना ने पूर्णकालिक सदस्यता हासिल नहीं की है।
राष्ट्रपति मिली की नई सरकार ने ब्रिक्स की सदस्यता नहीं लेने का फैसला किया है जबकि सऊदी अरब आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल होता है। पिछले वर्ष इंडोनेशिया को भी इसमें शामिल किया गया है। ट्रंप की इस नई चेतावनी का भारत पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने पहले दैनिक जागरण को बताया था कि भारत जिस तरह से जी-20 शिखर सम्मेलन का बहुत ही भव्य आयोजन किया था, वैसा ही इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का होगा। हाल ही में जब पीएम मोदी नरेन्द्र मोदी चीन की यात्रा पर गये थे तब उन्होंने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को आगामी बैठक के लिए आमंत्रित भी किया था।
भारत की कोशिश है कि ब्रिक्स के सभी पूर्णकालिक दस सदस्य देशों के साथ इसमें हिस्सा लेने के लिए इच्छुक दूसरे रणनीतिक सहयोगियों को भी बुलाया जाए। अभी देखा जाए तो तीन दर्जन से ज्यादा देशों ने ब्रिक्स संगठन की सदस्यता लेने की इच्छा जताई है। इसमें दक्षिण एशिया के भी कई देश हैं। यही नहीं सितंबर, 2025 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक भी बुलाई थी।
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