पूजा खेडकर के पिता पर किडनैपिंग का आरोप, मामूली झगड़ा बना बड़ा विवाद; पुलिस ने सुलझाई गुत्थी
नवी मुंबई की अदालत में पेश पुलिस रिपोर्ट के अनुसार ट्रक क्लीनर अपहरण मामला एक संगठित अपराध है न कि केवल एक साधारण झगड़ा। यह मामला दिलीप खेडकर से संबंधित है मुख्य आरोपी हैं। पुलिस जांच में पता चला कि दिलीप खेडकर ने सड़क हादसे के बाद ट्रक क्लीनर प्रह्लाद कुमार को जबरन अपनी गाड़ी में बैठाकर पुणे स्थित अपने बंगले में कैद कर दिया था।

डिजिटस डेस्क, नई दिल्ली। नवी मुंबई की एक अदालत में इस हफ्ते पेश हुई पुलिस रिपोर्ट ने ट्रक क्लीनर किडनैपिंग केस को एक साधारण झगड़ा नहीं, बल्कि संगठित अपराध करार दिया है। यह मामला दिलीप खेडकर से जुड़ा है, जो इस केस के मुख्य आरोपी हैं और पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता हैं।
पूजा खेडकर पहले भी सिविल सेवा परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर विवाद में रह चुकी हैं। पुलिस ने अदालत में बताया कि यह मामला 13 सितंबर को नवी मुंबई के मुलुंड-ऐरोली रोड पर एक सड़क हादसे से शुरू हुआ था। दिलीप खेडकर की लैंड क्रूजर कार एक मिक्सर ट्रक से हल्की टकरा गई, जिसके बाद झगड़ा शुरू हुआ।
क्लीनर को घर में किया बंद
जांच के अनुसार, हादसे के बाद दिलीप खेडकर ने गुस्से में ट्रक ड्राइवर से बहस की और फिर ट्रक के क्लीनर प्रह्लाद कुमार को जबरन अपनी कार में बैठा लिया। उन्होंने कहा कि वे पुलिस स्टेशन जा रहे हैं, लेकिन इसके बजाय क्लीनर को पुणे स्थित अपने बंगले में ले गए और बेसमेंट में बंद कर दिया।
पुलिस ने अदालत में बताया कि यह कोई आवेग में हुआ झगड़ा नहीं था, बल्कि सोची-समझी हरकत थी। जब पुलिस ने क्लीनर की लोकेशन ट्रेस की तो उसका मोबाइल सिग्नल पुणे से मिला। जब पुलिस वहां पहुंची, तो दिलीप की पत्नी मनोरमा खेडकर ने बंगले का गेट बंद कर दिया और पुलिस को डराने के लिए कुत्ते छोड़ दिए। काफी मशक्कत के बाद प्रह्लाद को छुड़ाया गया।
पति-पत्नी पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
पुलिस के मुताबिक, जब टीम बंगले पर पहुंची तब दिलीप खेडकर, उनका ड्राइवर सालुंखे और गाड़ी सभी मौजूद थे। पुलिस ने बताया कि दिलीप ने कहा, हम खुद थाने आ रहे हैं और कुछ देर बाद घर से फरार हो गए। मनोरमा खेडकर से बात करने पर उन्होंने कहा कि हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जो करना है कर लो।
पुलिस ने अदालत को बताया कि दोनों पति-पत्नी पर पहले भी जमीन कब्जाने और हथियार दिखाने का आरोप लग चुका है। इसके अलावा, जांच में पाया गया कि उन्होंने सबूत नष्ट करने की कोशिश की है क्योंकि बंगले का DVR सिस्टम, गाड़ी और मोबाइल फोन सभी गायब हैं।
मनोरमा ने नहीं किया सहयोग
मनोरमा खेडकर को पिछले सोमवार को अंतरिम जमानत मिली थी, लेकिन पुलिस का कहना है कि उन्होंने तब से किसी भी तरह का सहयोग नहीं किया। जब पुलिस ने उन्हें नोटिस देने की कोशिश की तो वे संपर्क से बाहर रहीं। यहां तक कि उनके वकील ने भी कहा कि अब मनोरमा से कोई संपर्क नहीं है।
पुलिस ने आरोप लगाया कि 4 अक्टूबर को जिस दिन दिलीप खेडकर की बेल अर्जी दाखिल हुई, उस दिन मनोरमा जानबूझकर सूर्यास्त के बाद थाने पहुंची, ताकि उनसे पूछताछ न हो सके। क्योंकि कानून के मुताबिक, सूर्यास्त के बाद महिला आरोपी से पूछताछ नहीं की जा सकती है।
पुलिस ने कोर्ट में कहा कि बेल याचिका में कई झूठे दावे किए गए हैं। मनोरमा ने कहा कि पीड़ित को अच्छा खाना और सुविधा दी गई, लेकिन प्रह्लाद ने बताया कि उसे बासी खाना दिया गया जो उसने भूख लगनेके बावजूद नहीं खाया। वह तब ही बाहर निकला जब पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर ली, यानी खुद से नहीं दबाव में उसे छोड़ा गया था।
पुलिस ने कहा- कानून का मजाक उड़ाया गया
दिलीप खेडकर ने यह भी कहा कि पूरा मामला 5 हजार रुपये के झगड़े से शुरू हुआ, जिस पर पुलिस ने सवाल किया कि क्या लैंड क्रूजर का कोई भी पार्ट 5 हजार रुपये में आता है? पुलिस ने इसे अदालत को गुमराह करने की कोशिश बताया।
पुलिस ने अदालत से पूछा, अगर यह मामला इतना ही मामूली था तो DVR सिस्टम क्यों हटाया गया? जांच टीम का कहना है कि जब तक आरोपी हिरासत में नहीं आते, जांच आगे नहीं बढ़ सकती। पुलिस का मानना है कि इस पूरे मामले में कानून से डरने की बजाय उसका मजाक उड़ाया गया।
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