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    Cough Syrup Advisory: दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दे सकते खांसी-सर्दी का सिरप, सरकार ने लगाया बैन

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 07:26 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ सरकार ने 2 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी-जुकाम की दवाएं देने पर रोक लगा दी है। यह फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी के बाद लिया गया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद यह कदम उठाया गया है।

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    शिशुओं को संभावित दुष्प्रभावों से बचाने के लिए उठाया गया कदम (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एडवाइजरी के बाद सोमवार को छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए राज्य में दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी की सिरप या सर्दी-जुकाम की दवाएं देने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम शिशुओं को संभावित दुष्प्रभावों से बचाने के लिए उठाया गया है।

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    ये दवाएं सामान्यतः पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए भी अनुशंसित नहीं हैं। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई। अब तक 11 बच्चों की जान जा चुकी है। जांच में सिरप में जहरीला केमिकल पाया गया जिसके बाद राज्य सरकार ने इसकी बिक्री पर रोक लगा दी है। इसी तरह मध्य प्रदेश के बैतूल और राजस्थान में भी मौत की घटनाएं सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है।

    सख्ती से पालन करने के निर्देश

    प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) और सिविल सर्जनों को निर्देश जारी किए हैं। सभी शासकीय और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को केंद्र सरकार की इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

    आयुक्तालय स्वास्थ्य सेवाएं ने उच्चस्तरीय वीडियो कांफ्रेंस आयोजित कर जिलास्तरीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि दवाओं का उपयोग केवल चिकित्सकीय परामर्श पर ही आधारित होना चाहिए और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में सामान्य खांसी-जुकाम अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है, इसलिए दवा देना अनावश्यक है।

    आम जनता को भी डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न देने के प्रति जागरुक किया जाएगा। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने भी राज्य में निगरानी और कार्रवाई तेज कर दी है। निर्माण इकाइयों का निरीक्षण: राज्यभर में औषध निर्माण इकाइयों का जोखिम-आधारित निरीक्षण (Risk-Based Inspection) करने के लिए औषधि निरीक्षकों के दल गठित किए गए हैं।

    निजी फार्मेसियों का निरीक्षण

    सभी सहायक औषधि नियंत्रकों और औषधि निरीक्षकों को तत्काल औषधि विक्रय संस्थानों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है। निजी फार्मेसियों का आकस्मिक निरीक्षण भी शुरू कर दिया गया है ताकि दवाओं के अनुचित या असावधानीपूर्वक उपयोग को रोका जा सके।

    सरकारी आपूर्ति शृंखला सुरक्षित: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) ने स्पष्ट किया है कि जिन दो कंपनियों के विरुद्ध अन्य राज्यों में कार्रवाई हुई है, उनकी राज्य में सरकारी आपूर्ति कभी नहीं रही है और वे सीजीएमएससी के डेटाबेस में पंजीकृत नहीं हैं।

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