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    'मैं देश से माफी मांगता हूं...', महुआ मोइत्रा के साथ जुबानी जंग के बीच कल्याण बनर्जी ने अब ये कहा

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 03:45 PM (IST)

    तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने महुआ मोइत्रा पर हमला बोलते हुए उनसे माफी मांगी है। बनर्जी ने कहा कि 2023 में उन्होंने मोइत्रा का समर्थन किया था जिसका उन्हें अब पछतावा है। उन्होंने मोइत्रा के हालिया बयानों को शिष्टाचार से खाली बताया। मोइत्रा ने बनर्जी के हमलों पर कहा था कि सुअर के साथ कुश्ती नहीं करते। बनर्जी ने इस बयान को सभ्य बातचीत के खिलाफ बताया।

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    पिछले कुछ महीनों से बनर्जी और मोइत्रा के बीच तीखी बयानबाजी चल रही है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने अपनी ही पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा पर तीखा हमला बोला है।

    लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद बनर्जी ने मोइत्रा को देश से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि 2023 में उन्होंने मोइत्रा का समर्थन किया था, लेकिन अब उन्हें इस बात का पछतावा है।

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    टीएमसी सांसद ने मोइत्रा के हालिया बयानों को निशाना बनाते हुए कहा कि वह "मूलभूत शिष्टाचार" से खाली हैं।

    बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, "2023 में जब संसद में मोइत्रा पर हमले हो रहे थे, मैंने उनका साथ दिया। यह मेरा विश्वास था, कोई मजबूरी नहीं। लेकिन आज उन्होंने मुझे 'महिला विरोधी' कहकर जवाब दिया। मैं देश से माफी मांगता हूं कि मैंने ऐसी शख्सियत का बचाव किया जो कृतज्ञता से कोसों दूर है। लोग उनके शब्दों को देखें और खुद फैसला करें।"

    मोइत्रा और बनर्जी में तीखी तकरार

    पिछले कुछ महीनों से बनर्जी और मोइत्रा के बीच तीखी बयानबाजी चल रही है। ताजा विवाद मोइत्रा के एक पॉडकास्ट में दिए बयान से शुरू हुआ।

    जब उनसे बनर्जी के हमलों के बारे में पूछा गया, तो मोइत्रा ने कहा, "आप सुअर के साथ कुश्ती नहीं करते, क्योंकि सुअर को मजा आता है और आप गंदे हो जाते हैं। भारत में कुछ गहरे तौर पर महिला विरोधी, यौन रूप से कुंठित और भटके हुए लोग हैं और हर पार्टी में उनकी नुमाइंदगी है।"

    इस बयान पर बनर्जी ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि किसी सांसद को "सुअर" कहना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह सभ्य बातचीत के बुनियादी नियमों की अवहेलना है।

    बनर्जी ने कहा, "मैंने सार्वजनिक जवाबदेही और व्यक्तिगत आचरण की बात की थी, जो हर सार्वजनिक शख्सियत को झेलना पड़ता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। अगर ये बातें किसी को असहज लगती हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आलोचना को 'महिला विरोधी' कहकर टाला जाए।"

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