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    अटल टनल से तीन रास्‍तों की जद में आई चीन की सरहद, कई मुश्किलें हुईं आसान

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sun, 04 Oct 2020 08:44 AM (IST)

    अटल टनल के शुरू होने के बाद चीन से लगी सरहद पर पहुंचना आसान हो गया है। अब इस सरहद पर पहुंचने के तीन मार्ग हो गए हैं जहां से जवानों को सीमा तक पहुंचाया ...और पढ़ें

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    अटल टनल से जवानों को जल्‍द सीमा तक ले जाया जा सकेगा।

    नई दिल्‍ली (जेएनएन)। चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बीच अटल टनल का शुरू होना कई मायनों में अहम हैं। सेना पूरे साजोसामान के साथ लद्दाख और फिर चीन तक पहुंच सकती है। अब भारत चीन सीमा तक पहुंचने के तीन रास्ते हो गए हैं, जिनके जरिये भारतीय सेना द्रुत गति से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकेगी।  

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    ये हैं तीन रास्‍ते 

    अटल टनल तीसरा रास्ता है, जिसके जरिये तीव्र गति से किसी भी मौसम में चीन से लगती सीमा तक पहुंचा जा सकता है। अभी तक कारगिल या लेह पहुंचने के दो रास्ते थे। इनमें से एक श्रीनगर से जोजिला दर्रे को पार करते हुए लेह पहुंचने का रास्ता है। यह पारंपरिक रास्ता है। वहीं दूसरे रास्ते के जरिये मनाली से रोहतांग, दारचा, बारालाचा और तंगलांग ला होते हुए लेह तक पहुंचा जा सकता है।

    चीन तक ऐसे पहुंचेंगे हमारे जांबाज

    लद्दाख तक पहुंचने में अभी तक मौसम की चुनौतियां सामने होती थीं। इन चुनौतियों को पछाड़कर देश की सेवा में हर वक्त चौकस रहने वाले सैनिक अपने कर्तव्य का निर्वहन तो करते थे, लेकिन चुनौतियां कड़ी थीं, बड़ी थीं। हालांकि अटल टनल बनने से कारगिल तक पहुंचने में दूरी कम होगी और सेना लद्दाख से सीधे चीन में दाखिल हो सकती है। साथ ही अन्य दो रास्तों पर दबाव कम होगा। यही कारण है कि इस रास्ते के कारण चीन खफा है।

    किसानों की चिंता होगी दूर

    अटल टनल से शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति का सेब, आलू, गोभी व हरा मटर अब देश की मंडियों में आसानी से पहुंचेगा। लाहुल के किसान व बागवानों को उत्पाद बेचने की चिंता नहीं सताएगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग से भी निजात मिलेगी। फसल बेचने के लिए किसानों को जान जोखिम में नहीं डालनी होगी। नकदी फसलों को और बढ़ावा मिलेगा। रोहतांग दर्रे के कारण लाहुल के किसान अपने उत्पाद घर-द्वार पर बेचने के लिए मजबूर थे। उत्पाद का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता था। ऐसे में यहां के किसान कांट्रेक्ट फार्मिंग को तवज्जो दे रहे थे।

    लाहुल और पांगी घाटी की पांच हजार बीघा जमीन पर पैदा होने वाले लिली के फूल अब दिल्ली में महक बिखेरेंगे। फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर रौनक आएगी। पहले लाहुल में छह महीने के लिए आवाजाही बंद हो जाती थी, परन्तु अब साल भर आवागमन की सुविधाओं से आर्थिक गतिविधियों का विस्तार होगा। 

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