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    शैवाल से कोरोना की सस्ती और असरदार दवा खोजने का तीन प्रोफेसरों ने किया दावा

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Fri, 27 Nov 2020 06:10 PM (IST)

    पानी या नम सतह पर पैदा होने वाली शैवाल (एलगी) से कोरोना की दवा बनने की संभावना है। आम बोलचाल में काई के रूप में पहचाने जाने वाले शैवाल में पाए जाने वाले खास मेटाबॉलिट्स एंटी वायरल के रूप में असरदार पाए गए हैं।

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    एलगी में पाए जाने वाले मेटाबॉलिट्स वायरस का संक्रमण रोकने में पाए गए असरदार।

    लोकेश सोलंकी, इंदौर। पानी या नम सतह पर पैदा होने वाली शैवाल (एलगी) से कोरोना की दवा बनने की संभावना है। आम बोलचाल में काई के रूप में पहचाने जाने वाले शैवाल में पाए जाने वाले खास मेटाबॉलिट्स एंटी वायरल के रूप में असरदार पाए गए हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर के तीन प्रोफेसरों ने शैवाल से कोरोना की सस्ती और असरदार दवा खोजने का सूत्र दिया है।

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    शैवाल से मिलने वाली एंटी वायरल दवा का असर रहेगा बरकरार

    दावा है कि वायरस के सरंचना परिवर्तन के चलते वैक्सीन का असर भले ही सीमित या कम हो, लेकिन शैवाल से मिलने वाली एंटी वायरल दवा का असर बरकरार रहेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों ने शोध किया है। 18 नवंबर को यह अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल फायटोथैरेपी में प्रकाशित हुआ है। आइआइटी इंदौर की डॉ. किरणबाला और प्रो. हेमचंद्र झा सहित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के डॉ. हेमेंद्रसिंह परमार शोध में शामिल हैं।

    एलगी में पाए जाने वाले मेटाबॉलिट्स वायरस का संक्रमण रोकने में पाए गए असरदार

    प्रोफेसर झा और परमार के मुताबिक शैवाल के मेटाबॉलिट्स से मतलब उसमें पाए जाने वाले कुछ खास तत्वों से हैं। शोध में इनमें से कुछ कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन को चिह्नित किया गया है। कॉर्बोहाइड्रेट में शामिल है कैराजेनॉन, गैलक्टान, फुइकोइदान, उलवान, एक्सोपोलीसकराइड्स, नाविकुलान, नोस्टोफलान, एलजीनेट, कैल्शियम स्पिरलान आदि। शैवाल के ये कार्बोहाइड्रेट अभी तक एड्स, एन्फ्लूएंजा, पैपिलोमा, कोरोना वायरस, डेंगू अडेनोविरस, सीटोमैगलो वायरस, ह्यूमन लुकेमिआ जैसे वायरस पर मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म के प्रयोगों में असरदार पाए गए हैं।

    कोरोना फैमिली के कई वायरस इन्फ्लुएंजा एवं इबोला पर प्रभावी पाए गए

    इसी तरह शैवाल में मिले कुछ प्रोटीन, जिन्हें स्यानोविरिन-एन, सीटविरिन, ग्रिफीथ्सीन, डिटेरपीनेस,सेस्कूटरपेन्स, डिएकोल नाम से जाना जाता है, कोरोना फैमिली के कई वायरस तथा मीजल्स, हर्पिस, एड्स, हेपेटाइटिस, इन्फ्लुएंजा एवं इबोला पर प्रभावी पाए गए हैं।

    कोविड-19 पर प्रभावी रहने की उम्मीद

    एलगी मेटाबॉलिट्स वायरस को कोशिका से जुड़ने से रोकने, वायरस के रेप्लिकेशन को रोकने तथा वायरस का इन्फेक्शन एक कोशिका से दूसरी में फैलने से रोकने में प्रभावी पाए गए हैं। ऐसे में इनके सॉर्स और कोविड-19 पर भी प्रभावी रहने की उम्मीद बंध गई है।

    कोविड-19 की सस्ती और असरदार दवा का रास्ता शैवाल से निकलना संभव

    दुनिया के किसी भी हिस्से में पाए जाने वाले शैवाल को कहीं भी लैब कंडीशन में आसानी से उगाया जा सकता है। लिहाजा कोविड-19 की सस्ती और असरदार दवा का रास्ता भी शैवाल से निकलना संभव है।

    शैवाल से ब्रॉड स्पैक्ट्रम एंटी वायरल दवाएं बन सकती हैं

    लंबे समय से कर रहे हैं शोध डॉ. झा और डॉ. परमार कोविड-19 वायरस पर महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज इंदौर व देश के अन्य हिस्सों में हो रहे शोध में भी शामिल हैं। वे इससे पहले शरीर में पाए जाने वाले एसीई-टू रिसेप्टर के अवशोषण के कारण कोविड-वायरस के घातक प्रभाव पर भी निष्कर्ष दे चुके हैं। शोध करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस में लगातार म्युटेशन के कारण कई तरह की स्ट्रेन अब तक पाई जा चुकी हैं। ऐसे में आगे जाकर वैक्सीन का प्रभाव सीमित हो सकता है, जबकि शैवाल से ब्रॉड स्पैक्ट्रम एंटी वायरल दवाएं बन सकती हैं।

    ब्रॉड स्पैक्ट्रम: दवाएं विभिन्न वायरस के स्ट्रेन पर असरदार होती हैं

    ब्रॉड स्पैक्ट्रम का मतलब है कि ये दवाएं विभिन्न वायरस के स्ट्रेन पर एक सी असरदार होती हैं। डॉ. किरणबाला भी शैवाल पर लंबे समय से शोध कर रही हैं। उनके 26 से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। वे जर्मनी की लेबनीज यूनिवर्सिटी में भी रिसर्च के लिए जा चुकी हैं।

    असरदार तत्व की खोज में जुटे तीनों वैज्ञानिक

    अब सबसे असरदार तत्व की खोज में जुटे तीनों वैज्ञानिक अब शैवाल में पाए जाने वाले सबसे असरदार तत्वों की पहचान में जुटे हैं। साथ ही किन प्रजातियों में से इसे निकाला जा सकता है व दवा के रूप में किस काम्बिनेशन में विकसित किया जा सकता है, इस पर काम कर रहे हैं। आरंभिक शोध के लिए यूजीसी, आइआइटी और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने फंड प्रदान किया है। आगामी नतीजों को केंद्रीय एजेंसियों को भेजा जाएगा।