राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र, जिहादी दुष्प्रचार के लिए तीन को आजीवन कारावास, आतंकी संगठन के लिए कर रहे थे काम
गुजरात के राजकोट की एक सत्र अदालत ने बंगाल के तीन लोगों को युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और राष्ट्र विरोधी जिहादी दुष्प्रचार कर सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने का दोषी ठहराया है। एटीएस को इनके एक स्थानीय मस्जिद से राष्ट्र-विरोधी दुष्प्रचार करने तथा आतंकी संगठन अल-कायदा के लिए युवाओं की भर्ती करने एवं उन्हें कट्टर बनाने के लिए एक बांग्लादेशी हैंडलर के लिए काम करने की सूचना मिली थी।

पीटीआई, राजकोट। गुजरात के राजकोट की एक सत्र अदालत ने बंगाल के तीन लोगों को युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और राष्ट्र विरोधी जिहादी दुष्प्रचार कर सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने का दोषी ठहराया है। अदालत ने उन्हें आखिरी सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
ये हैं तीनों आरोपितों के नाम
जिला सरकारी वकील एसके वोरा ने बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आइबी पठान ने तीनों आरोपितों अमन सिराज मलिक, अब्दुल शकूर अली शेख और शफनवाज अबू शाहिद को दोषी ठहराया। उन्हें आखिरी सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
तीनों को जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया था
गुजरात एटीएस ने इन्हें जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया था। एटीएस को इनके एक स्थानीय मस्जिद से राष्ट्र-विरोधी दुष्प्रचार करने तथा आतंकी संगठन अल-कायदा के लिए युवाओं की भर्ती करने एवं उन्हें कट्टर बनाने के लिए एक बांग्लादेशी हैंडलर के लिए काम करने की सूचना मिली थी।
एटीएस ने खुफिया जानकारी के आधार पर उनमें से दो को राजकोट रेलवे स्टेशन से और तीसरे को एक आवासीय भवन से गिरफ्तार किया था। आरोपितों के पास से एक देसी पिस्टल, कारतूस, कट्टरपंथी साहित्य, वीडियो और अन्य सामग्री बरामद की गई थी।
एक विदेशी गुर्गे के संपर्क में रहते थे तीनों
एटीएस के अनुसार, आरोपितों में से एक ने एक विदेशी गुर्गे के संपर्क में रहने के लिए टेलीग्राम एप का उपयोग किया था। वह गुर्गा बांग्लादेश में अल-कायदा का प्रमुख था।
एटीएस ने कहा था कि बांग्लादेशी गुर्गे ने मलिक को 'जिहाद' और 'हिजरत' के लिए प्रेरित किया और उसे दूसरों को अपनी विचारधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा।
राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाने का कर रहे थे काम
बहस के दौरान वोरा ने साबित किया कि आरोपितों से जब्त किए गए मोबाइल के वाट्सएप चैट से पता चला कि आरोपित मुस्लिम समुदाय के एक खास वर्ग को राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए उकसा रहे थे।
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