स्तन कैंसर में कम कीमत वाली ये दवा हो सकती है बेहद कारगर, टीएमसी की स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा
नई दिल्ली से, टाटा मेमोरियल सेंटर के अध्ययन में सामने आया कि कार्बोप्लाटिन नामक सस्ती कीमोथेरेपी दवा ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं के इलाज में बहुत प्रभावी हो सकती है, खासकर 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए। इस दवा के इस्तेमाल से इलाज में सुधार और बचने की संभावना बढ़ जाती है। भारत में हर साल स्तन कैंसर के कई मामले सामने आते हैं, जिनमें से कई टीएनबीसी से जुड़े होते हैं।

स्तन कैंसर के इलाज के लिए मिली कम कीमत वाली दवाई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्तन कैंसर के इलाज में कार्बोप्लाटिन दवा बेहद कारगर हो सकती है। परीक्षण में इसके उत्साहजनक परिणाम दिखे हैं। टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) द्वारा किए गए नए अध्ययन में कहा गया है कि कम लागत वाली कीमोथेरेपी दवा कार्बोप्लाटिन को उपचार में शामिल करने से ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) से पीड़ित मरीजों, विशेष रूप से 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में इलाज और बचने की संभावना में उल्लेखनीय सुधार होता है। टीएनबीसी स्तन कैंसर का गंभीर रूप है।
इस रेंडेमाइज्ड चरण परीक्षण में 2010 से 2020 के बीच मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) में चरण टीएनबीसी वाली 720 महिलाओं पर शोध किया गया। अध्ययन के प्रमुख लेखक, टीएमसी, मुंबई के निदेशक डा. सुदीप गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि सभी रोगियों को सर्जरी से पहले उनके ट्यूमर को कम करने के लिए मानक कीमोथेरेपी दी गई (आठ सप्ताह तक प्रति सप्ताह एक बार पैक्लिटैक्सेल, उसके बाद चार चरणों में हर 21 दिन में डाक्सोरूबिसिन और साइक्लोफास्फेमाइड)।
मरीजों को कार्बोप्लाटिन इंजेक्शन भी दिया गया
अध्ययन के दौरान प्लैटिनम समूह के रोगियों को मानक कीमोथेरेपी के साथ-साथ आठ सप्ताह तक सप्ताह में एक बार कार्बोप्लाटिन इंजेक्शन भी दिया गया। डा. गुप्ता ने कहा, कार्बोप्लाटिन सस्ती कीमोथेरेपी दवा है जिसका इस्तेमाल अक्सर अन्य कैंसर के लिए किया जाता है। कीमोथेरेपी के बाद, सभी मरीजों की सामान्य रूप से सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी की गई और फिर समय के साथ उनकी निगरानी की गई।
नहीं हुआ कोई दुष्प्रभाव
उन्होंने कहा कि इलाज में कार्बोप्लाटिन को शामिल करने से कोई बड़ा अतिरिक्त दुष्प्रभाव नहीं हुआ। अध्ययन में यह भी पाया गया कि इस दवा का 50 वर्ष से कम आयु के रोगियों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा, लेकिन अधिक आयु के रोगियों पर इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, हालांकि दुनियाभर के युवा मरीज इस उपचार से समान रूप से लाभान्वित होंगे, लेकिन यह विशेष रूप से भारत और अन्य देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जहां युवा मरीज अधिक संख्या में हैं।
भारत में हर साल कैंसर के कितने मामले आते हैं?
भारत में हर साल लगभग 1,80,000 नए स्तन कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें से एक तिहाई (55 हजार से 60 हजार) टीएनबीसी से जुड़े होते हैं, जिनमें जीवित रहने की दर बेहद कम होती है। इन टीएनबीसी मामलों में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं 50 वर्ष से कम आयु की होती हैं।
टीएमसी के पूर्व निदेशक और टाटा मेमोरियल हास्पिटल के मानद प्रोफेसर एमेरिटस डा. राजेंद्र ए. बडवे ने कहा, इस अध्ययन की बदौलत हमारे पास साक्ष्य है कि सुलभ, कम लागत वाली दवा उनके इलाज और बचने की संभावनाओं को बेहतर बना सकती है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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