Triple Talaq: पाक-बांग्लादेश ही नहीं, इन इस्लामिक देशों में भी बैन है तीन तलाक; PM मोदी भी कर चुके हैं जिक्र
पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कहा कि तीन तलाक से पूरा परिवार तबाह हो जाता है। अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है तो पाकिस्तान अफगानिस्तान इंडोनेशिया और मिस्र जैसे देशों में इसे क्यों बंद कर दिया गया। आइए उन मुस्लिम देशों के बारे में जानते हैं जहां पर तीन तलाक पर बैन लगा हुआ है...
अच्युत कुमार द्विवेदी, जागरण डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय जनता पार्टी के मेरा बूथ, सबसे मजबूत कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने तीन तलाक का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन तलाक से केवल बेटियों पर अन्याय नहीं होता है, बल्कि पूरा परिवार तबाह हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मिस्र जैसे मुस्लिम देशों में क्यों इसको बंद कर दिया गया।
तीन तलाक कानून कब लागू हुआ?
भारत में तीन तलाक कानून 19 सितंबर 2018 से लागू हुआ। इस कानून के तहत तीन तलाक बोलना गैरकानूनी कर दिया गया। कोई भी मुस्लिम शख्स अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक नहीं दे सकता। पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। तीन तलाक कानून के तहत तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है।
आइए, अब बात ऐसे इस्लामिक मुल्कों की करते हैं, जहां 'तत्काल' तीन तलाक की अवधारणा को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश
भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी तीन तलाक प्रतिबंधित है। पाकिस्तान के विभाजन से पहले ही यानी बांग्लादेश बनने से पहले ही वहां मुस्लिम परिवार कानून अध्यादेश, 1961 पारित हुआ था जोकि अब भी दोनों देशों में लागू है। इस अध्यादेश के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे पहले इस बात की जानकारी 'मध्यस्थता परिषद' को देनी होती है और साथ ही उसकी एक कॉपी पत्नी को भी। इसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्राविधान है जिसके तहत एक साल की कैद या पांच हजार का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
ट्यूनीशिया
ट्यूनीशिया भी एक ऐसा मुस्लिम देश है जहां तीन तलाक प्रतिबंधित है। देश में तीन तलाक के खिलाफ व्यक्तिगत स्थिति संहिता, 1956 (Code of Personal Status, 1956) लागू है, जिसके तहत दोनों पक्षों की आपसी सहमति से ही तलाक हो सकता है। साथ ही तलाक का फैसला तब तक नहीं हो सकता, जब तक अदालत पति-पत्नी के बीच विवाद की वजह न जान ले और दोनों में सुलह कराने में नाकाम न हो जाए।
मिस्र
मिस्र में तीन तलाक पर एक तरह से प्रतिबंध लागू है। यहां ट्रिपल तलाक पर रोकथाम के लिए 1929 से ही कानून है जिसे व्यक्तिगत स्थिति का कानून, 1929 (Egypt: Law of Personal Status, 1929) के नाम से जाना जाता है। मिस्र में तीन बार तलाक बोलने के लिए एक निश्चित अवधि का पालन करना होता है, यानी तीन तलाक एक साथ न बोलकर तीन महीने की अवधि के दौरान बोलना पड़ता है। मिस्र दुनिया का सबसे पहला देश था, जिसने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया था।
इंडोनेशिया
दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में भी तीन तलाक प्रतिबंधित है। यहां साल 1974 में इससे सबंधित कानून, जिसे विवाह का कानून, 1974 (Indonesia: Law of Marriage, 1974) के नाम से जाना जाता है, लागू हुआ था। इस कानून के अनुसार यदि सुलह के प्रयास नाकाम रहे हों तो विवाहित जोड़ा तलाक ले सकता है, लेकिन केवल अदालत में।
मोरक्को
व्यक्तिगत स्थिति संहिता, 2004 (Morocco: Code of Personal Status, 2004) के मुताबिक, कोई व्यक्ति अगर अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे सार्वजनिक नोटरी के साथ पंजीकरण कराने के बाद अदालत से अनुमति लेनी होगी। अदालत द्वारा मौखिक या लिखित अभिव्यक्तियां जारी होने के बाद ही तलाक प्रभावी होगा।
तुर्किये
तुर्किश नागरिक कानून के अनुच्छेद 161-165 (Articles 161-165 of Turkish Civil Law)के अनुसार, तुर्किये सरकार तलाक या 'तलाक-ए-बिद्दत' को मान्यता नहीं देती है। देश में तलाक की कार्यवाही केवल तभी शुरू की जा सकती है, जब विवाह पंजीकृत हो। इसके बाद तलाक की प्रक्रिया सिविल कोर्ट में होती है।
अफगानिस्तान
चार जनवरी 1977 के नागरिक कानून की धारा 145 के मुताबिक, अफगानिस्तान में तलाक लेने के लिए एक बैठक में तीन घोषणाएं की जाती हैं, जिसके बाद तलाक दी जाती है।
ईरान
ईरानी परिवार कानून का अनुच्छेद 1134 के मुताबिक, अगर पति-पत्नी के बीच सुलह नहीं हो पाती है तो काजी और/या अदालत द्वारा तलाक दिया जा सकता है। यह कम से कम दो कानूनी अधिकारियों की उपस्थिति में होना चाहिए।
बता दें, इन 9 देशों के अलावा, श्रीलंका, सीरिया, ब्रुनेई, कतर, यूएई, साइप्रस और जार्डन में भी तीन तलाक बैन है। अधिकांश इस्लामिक देशों में एक सत्र में 'तलाक' शब्द की तीन घोषणाएं केवल एक तलाक के बराबर होती हैं।
डिस्क्लेमर : इस खबर में तथ्यात्मक बदलाव किए गए हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगस्त 2017 में आया था। इसके बाद बाद भाजपा सरकार ने 28 दिसंबर 2017 को भाजपा ने लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 पारित करवाया। बाद में इसे राज्यसभा से भी पारित करवा लिया गया। यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया।
तीन तलाक का कानून कहता है कि मुस्लिम शख्स अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक नहीं दे सकता। अगर वह ऐसा करता है तो उसे तीन साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकता है।
इस्लाम में तलाक एक प्रक्रिया है। इस प्रकिया के तहत निकाह की शर्तो को मानने वाले पति-पत्नी अलग होते हैं।
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