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    Supreme Court: 'इसलिए मैं आपको वोट डालने की अनुमति नहीं दूंगा', डाक मतपत्र मामले में HC के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज

    बुजुर्ग महिला ने लोकसभा चुनाव में वोट डालने के लिए हाई कोर्ट से उन्हें डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। महिला ने शुरू में हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी। इसमें अपनी उम्र और बीमारियों को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र में अपना वोट डालने के लिए डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

    By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 20 May 2024 11:45 PM (IST)
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    78 वर्षीय महिला की याचिका हुई खारिज (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बिस्तर पर पड़ी 78 वर्षीय महिला की याचिका खारिज कर दी गई थी। बुजुर्ग महिला ने लोकसभा चुनाव में वोट डालने के लिए हाई कोर्ट से उन्हें डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

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    महिला ने शुरू में हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी। इसमें अपनी उम्र और बीमारियों को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र में अपना वोट डालने के लिए डाक मतपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इस सीट पर सात मई को मतदान हुआ था।

    कानून के अनुसार विचार करने का दिया निर्देश 

    हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल को उन्हें संबंधित निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आवेदन करने की अनुमति दी और अधिकारी को उनके दावे पर कानून के अनुसार विचार करने का निर्देश दिया। सोमवार को महिला के वकील गौरव अग्रवाल ने जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और पंकज मित्तल की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्होंने डाक मतपत्र जारी करने के लिए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आवेदन किया था।

    एक मई को आवेदन किया खारिज

    लेकिन, निर्वाचन अधिकारी ने एक मई को उनका आवेदन खारिज कर दिया। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आपकी (याचिकाकर्ता) शारीरिक दिव्यांगता 40 प्रतिशत से अधिक नहीं है। इसलिए मैं आपको (डाक मतपत्र के माध्यम से) वोट डालने की अनुमति नहीं दूंगा।

    महिला ने फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    गौरव अग्रवाल ने कहा कि महिला ने फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने छह मई को उनका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मतदान की तारीख सात मई है और डाक मतपत्र जारी करने और उसके संग्रह के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देश 24 घंटे में पूरा नहीं किया जा सकता है। महिला ने छह मई के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका निरर्थक हो गई है, क्योंकि मतदान सात मई को संपन्न हो चुका है।

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