नई शिक्षा नीति बदलेगी तस्वीर, तैयार होगी भविष्य की शिक्षा व्यवस्था की रूपरेखा
2018 में देश में शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार देखने को मिलेंगे। इस साल सरकार नई शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाकर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कर्ष पहल कर सकती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। 2018 में देश में शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार देखने को मिलेंगे। इस साल सरकार नई शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाकर शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कर्ष पहल कर सकती है। साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कई कारगर कदम उठाए जाने हैं। इन्हीं संभावनाओं पर नजर डाल रहे हैं हर्षित मिश्रा :
नई शिक्षा नीति बदलेगी तस्वीर
राष्ट्रीय स्तर पर मिले सुझावों के आधार पर एवं बदलती सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी जरूरतों की पृष्ठभूमि में नई शिक्षा नीति का निर्धारण किया जा रहा है। इसमें भविष्य की शिक्षा व्यवस्था की रूपरेखा का खाका खींचा जाएगा।
देश की तीसरी शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने जून 2017 में इसरो के पूर्व प्रमुख और वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में नौ सदस्यों की समिति बनाई है। इसे दिसंबर 2017 तक नई शिक्षा नीति का मसौदा पेश करना था। लेकिन अब यह 31 मार्च, 2018 को इसे सरकार को सौंपेगी। इसके बाद नई शिक्षा नीति तय हो सकती है।
देश में पहली शिक्षा नीति इंदिरा गांधी ने 1968 और दूसरी 1986 में राजीव गांधी के कार्यकाल में निर्धारित की गई।
एनटीए का गठन
देश में उच्च शिक्षा के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाएं कराने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के गठन पर नवंबर, 2017 में मुहर लगा दी है। इस स्वायत्त संस्था पर सीबीएसई, एआइसीटीई द्वारा कराई जा रही सभी उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं को आयोजित कराने की जिम्मेदारी होगी। इससे 40 लाख छात्रछात्राएं लाभांवित होंगे।
कृषि शिक्षा का बदलेगा पाठ्यक्रम
कृषि जैसे व्यापक क्षेत्र में आमदनी दोगुनी करने और खेती को लाभ का कारोबार बनाने के लिए देश में कृषि शिक्षा का नया पाठ्यक्रम 2018 से शुरू हो रहे आगामी सत्र से लागू होगा। यह बदलाव एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रमों में होगा। संशोधित पाठ्यक्रम देश के सभी 75 कृषि विश्वविद्यालयों और 368 कृषि महाविद्यालयों में लागू होगा। प्रत्येक शिक्षा सत्र में तकरीबन 50 हजार से अधिक छात्र बीएससी और 18 हजार से अधिक एमएससी और पांच हजार छात्र पीएचडी करते हैं। नए पाठ्यक्रमों से कृषि शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा और छात्र नौकरी मांगने की बजाय उद्यमी बनेंगे। एमएससी के 90 कोर्स और पीएचडी के 80 कोर्स में परिवर्तन का प्रभाव दिखेगा।
सीआइएससीई के पासिंग माक्र्स में बदलाव
काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एजुकेशन (सीआइएससीई) ने दसवीं की आइसीएसई परीक्षा और 12वीं की आइएससी परीक्षा में छात्रों को पासिंग माक्र्स में राहत दी है। 2018-19 सत्र से इसकी शुरुआत होगी। इसके तहत दसवीं के छात्रों को अब उत्तीर्ण होने के लिए 35 फीसद की बजाय 33 फीसद और 12वीं के छात्रों को 40 फीसद की बजाय 35 फीसद अंक लाने होंगे।
इस साल बदलेगी तस्वीर
बच्चे और बड़े अब ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर योग्यता और कौशल को बढ़ा रहे हैं। देश में ऑनलाइन शिक्षा बाजार 2021 तक 1.96 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
नीट में लागू होंगे बदलाव
2018-19 सत्र के लिए इस साल होने वाले नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का प्रश्न पत्र्र ंहदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, उड़िया, बंगाली, असमी, तेलुगू, तमिल और कन्नड़ के अलावा उर्दू में भी आने की संभावनाएं हैं। इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हामी भर दी है। साथ ही देश में मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाले नीट का प्रश्न पत्र पूरे देश में सभी भाषाओं में एक समान होगा। अंग्रेजी के प्रश्न पत्र को अनुवाद करके सभी भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं नीट में अभ्यर्थियों के शामिल होने के अवसर भी इस बार तीन के बजाए आठ किए जा सकते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह प्रस्ताव अभी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास अटका है। सरकार इस साल इस नियम को लागू कर सकती है। साथ ही 2018-19 से प्रदेश आयुष शिक्षण संस्थानों में भी नीट के जरिये प्रवेश होंगे।
दसवीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य
सेकेंडरी शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) दसवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य करेगा। पिछले साल शुरू हुए 2017-18 शैक्षणिक सत्र में यह व्यवस्था लागू हो चुकी है। इस बदलाव के साथ पहली बोर्ड परीक्षा 2018 में होगी। बोर्ड परीक्षा का 80 फीसद हिस्सा बोर्ड परीक्षा और 20 फीसद हिस्सा आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।