पेट्रोल-डीजल के एक्साइज ड्यूटी में अभी और हो सकती है बढ़ोतरी, एक्सपर्ट्स ने बताई वजह
Petrol Diesel Price शोध एजेंसियां बता रही हैं कि अगर कुछ महीनों (दो-तीन महीने) क्रुड की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रहे तो संभव है कि आम आदमी को पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कुछ कमी का तोहफा तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) की तरफ से दी जाए। मंगलवार को क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल के करीब रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि अंतिम नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में गिरावट जारी है और विशेषज्ञ शोध एजेंसियां बता रही हैं कि यह सिलसिला जारी रह सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क में दो-दो रुपये की एक और वृद्धि अगले कुछ दिनों में कर सकती है।
वजह यह है कि सरकारी तेल कंपनियां अभी भी रसोई गैस की बिक्री लागत से कम कीमत (उज्जवला ग्राहकों को 475 रुपये व आम ग्राहकों को 175 रुपये कम) पर बेच रही हैं। क्रूड की घटती कीमत के बीच उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फार्मूला पहले भी आजमाया गया है, इससे आम जनता पर कोई बोझ नहीं डाल कर सरकार अपना राजस्व अच्छा खासा बढ़ा लेती है।
खुदरा कीमतों में कुछ कमी का तोहफा तेल मार्केटिंग की ओर से मिलने की उम्मीद
शोध एजेंसियां बता रही हैं कि अगर कुछ महीनों (दो-तीन महीने) क्रुड की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रहे तो संभव है कि आम आदमी को पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कुछ कमी का तोहफा तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) की तरफ से दी जाए। मंगलवार को क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल के करीब रही है।
जेएम फाइनेंशिएल की रिपोर्ट बताती है कि उत्पाद शुल्क में वृद्धि के बावजूद सरकारी तेल कंपनियां को अभी पेट्रोल व डीजल पर औसतन 12 रुपये प्रति लीटर की मार्जिन बच रही है। यानी एक तेल कंपनी के लिए अभी एक लीटर पेट्रोल बनाने की लागत व मुनाफा मार्जिन और उसकी फैक्ट्री गेट की कीमत (तमाम शुल्क आदि लगाने सेपहले) में 12 रुपये का अंतर है।
तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल व डीजल पर अधिकांश महीनों मुनाफा कमाया
वजह यह है कि वर्ष 2024-25 के अधिकांश महीनों में क्रूड की कीमत कम ही रही है। अप्रैल, 2024 से जुलाई, 2024 के दौरान भारत के लिए क्रूड की खरीद लागत 83 से 89 डॉलर प्रति बैरल रही थी लेकिन उसके बाद यह लगातार 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। इस हिसाब से सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल व डीजल पर अधिकांश महीनों मुनाफा कमाया है लेकिन रसोई गैस पर सब्सिडी देने से उनकी गणित पर असर पड़ा है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को बताया कि एलपीजी को लागत से कम बिक्री होने से तेल कंपनियों को अभी 48 हजार करोड़ रुपये का घाटा है जिसके एक बड़े हिस्से की भरपाई सरकार बढ़े हुए उत्पाद शुल्क संग्रह से करेगी।
जेएम फाइनेंशिएल की रिपोर्ट बताती है कि, “रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ाने के बावजूद चालू वित्त वर्ष के दौरान 20 से 30 हजार करोड़ रुपये का घाटा होने की उम्मीद है। इस घाटे की भरपाई के लिए ओएमसी को पेट्रो व डीजल पर 7.30 रुपये से लेकर 10.50 रुपये प्रति लीटर की मार्जिन बना कर रखनी होगी।''
वहीं, एक दिन पहले पुरी ने कहा था कि, “50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि के बावजूद 1028 रुपए की लागत वाला 14.2 किलोग्राम का एलपीजी सिलेंडर उज्जवला लाभार्थियों को सिर्फ 553 रुपये में आम उपभोक्ताओं को 853 रुपये में दिया जा रहा है।''
पेट्रोलियम कंपनियों के घाटे की भरपाई पर सरकार का जोर
पुरी ने यह भी संकेत दिया था कि अगर क्रूड की कीमत लंबे समय तक 65 डॉलर प्रति बैरल से कम रहता है तो ओएमसी पेट्रो डीजल को सस्ता करने पर विचार कर सकती हैं। दूसरी तरफ, जेएम फाइनेंशिएल का आकलन है कि सस्ते क्रूड का फायदा आम जनता को देने के बजाये अभी पेट्रोलियम कंपनियों के घाटे (एलपीजी सिलेंडर को लेकर) की भरपाई की कोशिश होगी।
यह काम उत्पाद शुल्क में वृद्धि से होगा। वित्त मंत्रालय उत्पाद शुल्क वसूलेगा, बाद में इसका एक हिस्सा ओएमसी को दिया जाएगा। पिछले वित्त वर्ष भी ऐसा हुआ था।
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